राजस्थान में सियासी संकट लगातार जारी है। राजस्थान की राजनीति में रोज नए घटनाक्रम सामने आ रहे हैं।इसी बीच बहुजन समज पार्टी (बसपा) ने राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। बसपा ने अदालत में छह विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ याचिका दाखिल की है। बसपा महासचिव सतीश मिश्रा ने याचिका दाखिल कर विधायकों के विलय को चुनौती दी है।
राजस्थान में बसपा के छह विधायक- विधायक लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेंदर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर, भरतपुर) कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बसपा कई बार इस विलय के खिलाफ विरोध जता चुकी है। ये सभी विधायक सितंबर 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
बसपा के वकील दिनेश गर्ग ने कहा, 'इन छह विधायकों का विलय पूरी तरह से असंवैधानिक है। बसपा का न तो राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर पार्टी में विलय हुआ है। कानून के अनुसार, पार्टियों का विधायकों में विलय नहीं होता है। इसके अलावा इन छह विधायकों ने अपना इस्तीफा नहीं दिया है। बीएसपी के राष्ट्रीय सचिव द्वारा व्हिप जारी किया गया था। इसलिए उन्हें भारत के संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य ठहराया जा सकता है।"
मायावती बोलीं- हम इस मुद्दे को जाने नहीं देंगे
वहीं पार्टी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा था कि बसपा पहले भी अदालत जा सकती थी लेकिन हम अशोक गहलोत और कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे। अब हमने इस मामले पर अदालत का रुख करने का फैसला लिया है। हम इस मुद्दे को जाने नहीं देंगे। हम इसे उच्चतम न्यायालय तक लेकर जाएंगे।
बता दें कि मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि राजस्थान चुनाव का नतीजा आने के बाद बीएसपी ने कांग्रेस को बिना शर्त के समर्थन दिया था। दुख की बात है की गहलोत ने सीएम बनने के बाद बदनीयती से बीएसपी को राजस्थान में क्षति पहुंचाने के लिये विलय करने की गैरकानूनी कार्रवाई की। यही कृत्य पिछली सरकार में भी किया गया था। बीएसपी को बार-बार धोखा दिया गया है। गहलोत को सबक सिखाया जा सकता है। इस मामले को ठंडा नहीं होने दिया जाएगा और मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। कांग्रेस जो गैरसंवैधानिक काम कर रही है, उसे सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे।