पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को आरोप लगाया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) आरएसएस-भाजपा के हिंदू राष्ट्र की योजना का हिस्सा हैं।
चिदंबरम ने कहा, 'एनआरसी-सीएए-एनपीआर हिंदू राष्ट्र के विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आरएसएस-भाजपा की योजना का हिस्सा है। भारत का संविधान समानता के मूल्यों, कानूनों के समान संरक्षण, धर्मनिरपेक्षता, मानवतावाद और संवैधानिक नैतिकता का प्रतीक है। इन मूल्यों की रक्षा के लिए, प्रत्येक देशभक्त भारतीय का कर्तव्य है कि वह हिंदू राष्ट्र के घातक सिद्धांत से लड़ें।'
उन्होंने कहा, 'हम आभारी हैं कि छात्र और युवा विरोध में सबसे आगे हैं। जब हम देखते हैं कि हजारों युवा पुरुष और महिलाएं स्वतंत्रता, समानता, कानून के समान संरक्षण, बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक नैतिकता के लिए खड़े हैं तो हमें संतुष्टि मिलती है।
'मौजूदा सीएए भेदभावपूर्ण है'
उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सीएए भेदभावपूर्ण है, जहां इसमें तीन पड़ोसी देशों को शामिल किया गया है, वहीं, श्रीलंका, म्यांमार और भूटान को छोड़ दिया गया है, ऐसा क्यों? छह अल्पसंख्यक समूहों को शामिल किया गया, लेकिन मुस्लिम समुदाय को छोड़ दिया गया, ऐसा क्यों?’
'अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी नहीं है'
चिदंबरम ने कहा कि एनआरसी और सीएए के लागू होने पर सीधे तौर पर मुस्लिम प्रभावित होंगे। केवल उनकी अवैध प्रवासी के तौर पर पहचान होगी। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आंकड़े बताते हैं कि यह सरकार पूरी स्थिति को लेकर बेखबर है और ऐसा लगता है कि वह कुछ नहीं जानती है। जबकि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह डूब रही है।