केंद्र सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को मौत की सजा देने से जुड़ा विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। इसे पेश करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संसद की मंजूरी मिलने के बाद आपराधिक कानून (संशोधन) बिल 2018 आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा। यह अध्यादेश 21 अप्रैल को तब लाया गया था जब देश भर में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक बच्ची की गैंगरेप के बाद हत्या किए जाने के बाद रोष व्याप्त था। प्रसाद ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए बिल को मंजूरी दी गई।
बिल में कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने के मामलों में दोषी ठहराए गए व्यक्ति के लिए मौत की सजा देने की बात कही गई है। इसके अलावा महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले सख्त सजा को सात साल से बढ़ाकर दस साल करने और इसे आजीवन कारावास तक में तब्दील करने की बात कही गई है।
इस बिल के अनुसार 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म करने की सजा को बढ़ाकर दस से 20 साल कर दिया गया है। यह सजा आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है। इस सजा के अनुसार आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा।