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टेस्ट में फेल हुए स्वदेशी मिसाइल की विश्वसनीयता पर CAG ने उठाए सवाल

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद को सौंपी एक रिपोर्ट में भारत में बनी स्वदेशी मिसाइल ‘आकाश’ की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए हैं।
टेस्ट में फेल हुए स्वदेशी मिसाइल की विश्वसनीयता पर CAG ने उठाए सवाल

दरअसल, कैग ने इस मिसाइल की शुरुआती जांच में ही 30% सैंपल फेल होने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कैग ने बताया कि किसी भी युद्ध जैसी स्थिति में आकाश मिसाइल की गुणवत्ता कम है। इसलिए इसका इस्तेमाल विश्वसनीय नहीं है और यही कारण है कि वर्ष 2013 से 2015 के बीच लगने वाली मिसाइलों को पूर्वी सीमा पर तैनात ही नहीं किया गया। खास बात यह है कि भारत और चीनी सेना के बीच डोकलाम में जिस जगह पर आमना-सामना हुआ है, वह सिलीगुड़ी कॉरिडोर से कुछ ही किमी. दूर है।

बता दें कि ये स्वदेशी मिसाइल भारत के 'चिकन नेक' कहलाने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर सहित चीन सीमा से सटे छह अहम बेस पर लगने थे। इन मिसाइलों का टेस्ट साल 2014 में अप्रैल से नवंबर के बीच किया गया था।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेल) द्वारा बनाई गई, इन मिसाइलों की कुल लागत करीब 3900 करोड़ रुपये है, जिनमें से एयरफोर्स ने 3800 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया है।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, बड़ा मसला यह है कि सेम्पल टेस्ट में 30% तक फेल होना इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। जबकि इसको आधार बनाते हुए ही 95% भुगतान किया जा चुका है। सीएजी के मुताबिक, कम से कम 70 मिसाइल का जीवन काल कम से कम 3 साल इस वजह से बेकार हो गए, क्योंकि उनके स्टोरेज के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। प्रत्येक आकाश मिसाइल की लागत करोड़ों में होती है।  

इसी वजह से 150 अन्य मिसाइल का जीवन काल दो से तीन साल और 40 मिसाइल का जीवन काल एक या दो साल कम हो चुका है। ‘आकाश’ मिसाइल का जीवन काल 'मैन्युफैक्चरिंग डेट' से 10 साल तक होता है और उन्हें कुछ नियंत्रित दशाओं में संग्रह करना पड़ता है।

गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने साल 2010 में ही आकाश मिसाइल की सिलीगुड़ी कॉरिडोर में तैनाती को मंजूरी दे दी थी।

 

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