सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद हैदराबाद स्थित अपने घर वापस पहुंचे तेलुगु के जाने माने कवि वरवरा राव ने कहा, 'मैं शुरू से कह रहा था कि किसी झूठे मामले में मेरे खिलाफ केस दर्ज किया गया, मुझे न्यायप्रणाली पर पूरा भरोसा है।'
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को 6 सितंबर तक घर में नजरबंद रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कार्यकर्ताओं को उनके घर पहुंचा दिया गया। यह सभी पुलिस की निगरानी में घरों में ही बंद रहेंगे।
मंगलवार को हुई थी गिरफ्तारी
महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को देशव्यापी कार्रवाई करते हुए हैदराबाद से तेलुगु कवि वरवरा राव के साथ वरनान गोंसाल्विज, मुंबई से अरुण फरेरा, हरियाणा के फरीदाबाद से ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली से सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार कर लिया था। इन पर कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा भड़काने का आरोप है।
असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व हैः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और राज्य पुलिस को नोटिस जारी किए और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनान गोंसाल्विस की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है तथा सभी को 6 सितंबर तक घर पर नजरबंद रखने के आदेश दिए। मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी। तीन सदस्यीय पीठ ने भीमा-कोरेगांव घटना के करीब नौ महीने बाद गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल किए और कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है और यदि आप इन सेफ्टी वाल्व की इजाजत नहीं देंगे तो यह फट जाएगा।'