पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा है कि पूर्व अकाली सरकार के कार्यकाल में धार्मिक बेअदबी के 117 से अधिक मामलों की जांच एसआईटी कर रही है। जांच रिपोर्ट जल्द अदालत में पेश कर दी जाएगी ताकि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अदालत उचित कार्रवाई करने का फैसला ले सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग यह कह रहे थे कि धार्मिक बेअदबियों के मामलों को लेकर वह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अन्य को जेल की सलाखों के पीछे भेज दें लेकिन इस देश में कानून और संविधान है जिसकी पालना जरूरी है। इसलिए बेअदबी के मामलों की जांच के लिए पहले जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन किया गया और उसके बाद अब एसआईटी इस मामले की जांच कर रही है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर अदालत ही अंतिम निर्णय लेगी।
'सिख समुदाय कैसे भूल सकता है'
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों को भूलने की बात पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा कही जा रही है। वह बादल से पूछते हैं कि सिख समुदाय आज तक छोटे साहिबजादों की शहीदियों, घल्लूघारा और सिख कौम पर हुए अन्य हमलों को नहीं भूला है तो फिर सिख कौम किस तरह से धार्मिक ग्रंथों की बेअदबियों को भूल सकती है।
'लोग क्षमा करने के लिए नहीं हैं तैयार'
उन्होंने कहा कि बरगाड़ी में किस तरह से निर्दोष लोगों पर गोली चलाई गई। इसे सिख समुदाय अभी तक नहीं भूला है। वास्तव में वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर ये सारे कांड हुए थे। बरगाड़ी में चली गोली के बारे में यह कैसे हो सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को इसकी जानकारी न हो। लोग अकाली दल को धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों में क्षमा करने के लिए तैयार नहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने राज्य में नशों पर नियंत्रण पा लिया है। अन्य राज्य में जो थोड़ा-बहुत नशा बिक भी रहा है, उस पर नियंत्रण पाने के लिए दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान के साथ संयुक्त बैठकें शुरू हो चुकी हैं।