उन्नाव गैंगरेप केस में सीबीआई ने पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि कर दी है। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि पिछले साल चार जून को भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उसका रेप किया था। इस दौरान उनकी महिला सहयोगी शशि सिंह गार्ड के तौर पर रूम के बाहर खड़ी थीं।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पीड़िता बांगरमऊ के विधायक सेंगर का नाम लेती रही लेकिन स्थानीय पुलिस ने एफआईआर में विधायक कुलदीप सेंगर और अन्य आरोपियों के नाम शामिल नहीं किए। इतना ही नहीं आरोप-पत्र दायर करने में भी अनावश्यक रूप से देरी की गई।
सीबीआई ने धारा 164 के तहत कोर्ट के समक्ष पीड़िता का बयान दर्ज किया जिसमें वह अपने आरोपों पर बनी रही। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने लड़की की मेडिकल जांच में भी देरी की और लड़की के कपड़ों को फॉरेंसिक लैब नहीं भेजा। यह सब कुछ जानबूझकर और आरोपियों की मिलीभगत से किया गया।
इस मामले में सीबीआई ने आरोपी विधायक सेंगर, शशि सिंह और अन्य आरोपियों को 13-14 अप्रैल को गिरफ्तार किया था और इनसे सीबीआई ने कई दौर की पूछताछ भी की है। सीबीआई विधायक को बचाने में पुलिस की भूमिका की भी जांच कर रही है। भाजपा विधायक के बचाने की चौतरफा आलोचना के बाद यूपी सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया।
किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सीबीआई ने फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट और इस पूरे घटनाक्रम का एक-दूसरे से नाता जोड़ा। नतीजतन सीबीआई को पता चला कि पीड़िता की ओर से लगाया गया गैंगरेप का आरोप सही है। जांच एजेंसी के मुताबिक, पीड़िता को शशि सिंह जॉब दिलाने के नाम पर विधायक के घर ले गई जहां चार जून को विधायक ने उसके साथ रेप किया। 4 से 10 जून तक पीड़िता कुछ नहीं बोली क्योंकि उसे धमकी दी गई थी।
सीबीआई के मुताबिक, 11 जून को शुभम सिंह, अवध नारायण और ब्रजेश यादव ने पीड़िता का अपहरण कर लिया। 11 से 19 जून के बीच लड़की ज्यादातर एसयूवी में घूमती रही और जहां उसके साथ इन तीनों ने कई बार गैंग रेप किया। जब पीड़िता 20 जून को मिली तो माखी पुलिस एफआईआर लिखने से बचती रही और बाद में तहरीर बदलते हुए विधायक सेंगर, शशि सिंह तथा कुछ अन्य के नाम हटा दिए गए।
गौरतलब है कि पीड़िता के पिता की पीट-पीटकर हत्या के आरोप में कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर समेत पांच आरोपी पहले से ही जेल में हैं।