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सीबीआई ने दिल्ली में कोचिंग सेंटर में अभ्यर्थियों की मौत के मामले की जांच अपने हाथों में ली

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट’ में पानी भर...
सीबीआई ने दिल्ली में कोचिंग सेंटर में अभ्यर्थियों की मौत के मामले की जांच अपने हाथों में ली

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट’ में पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के मामले की जांच अपने हाथों में ले ली है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

दिल्ली में 27 जुलाई को भारी बारिश के बाद ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में स्थित ‘राव आईएएस स्टडी सर्किल’ की इमारत के ‘बेसमेंट’ में पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों-उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन की डूबने से मौत हो गई थी।

इससे पहले आज राउज एवेन्यू कोर्ट ने बिल्डिंग के सह-मालिकों की जमानत याचिका पर सुनवाई की, जहां सीबीआई की ओर से वकील ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। दूसरी ओर, इमारत के सह-मालिकों के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 अगस्त को मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। उन्होंने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल सिर्फ इमारत के मालिक हैं और जब तक सीबीआई जांच शुरू नहीं करती, तब तक उन्हें अंतरिम जमानत प्रदान की जानी चाहिए।

अदालत ने सीबीआई को नोटिस जारी किया और मामले को 9 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया। अदालत ने कहा कि एफआईआर दर्ज नहीं की गई है और यह प्रक्रिया में है। अदालत ने कहा कि वह स्थिति रिपोर्ट दाखिल होने के बाद जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी। विशेष रूप से, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 अगस्त को ओल्ड राजिंदर नगर में तीन यूपीएससी उम्मीदवारों की मौत की जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी थी। अदालत ने इस निर्णय के कारणों के रूप में घटनाओं की गंभीरता और लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार में संभावित संलिप्तता का हवाला दिया।

अदालत ने इस घटना पर पुलिस और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को भी फटकार लगाई और कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि छात्र कैसे बाहर नहीं आ सके। उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि दिल्ली की नागरिक एजेंसियों के पास प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए आवश्यक धन की कमी है। दिल्ली हाईकोर्ट  ने दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय और भौतिक बुनियादी ढांचे पर फिर से विचार करने के लिए जीएनसीटीडी के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का निर्देश दिया, जिसमें डीडीए के उपाध्यक्ष, एमसीडी अध्यक्ष और पुलिस आयुक्त सहित सदस्य शामिल होंगे। समिति को आठ सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी होगी।

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