यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी घोटाला मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ले ली है। सीबीआई ने एफआईआर में अथॉरिटी के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और 20 अन्य लोगों के नाम दर्ज किए हैं। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की सिफारिश पर एजेंसी ने 126 करोड़ रुपये के जमीन खरीद घोटाले की जांच संभाली है।
यूपी सरकार ने पिछले साल जुलाई में मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। आरोप है कि यमुना एक्सप्रेस इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ ने अफसरों और कर्मचारियों को मिलीभगत से मथुरा के 7 गांवों में 85 करोड़ रुपये में जमीन खरीदी थी। इसके बाद जमीन को अथॉरिटी को ऊंचे दामों पर बेचा गया, जिसके चलते राज्य सरकार को 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। करीब 165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे नोएडा को ताजनगरी आगरा से जोड़ता है।
सरकार ने अपनाया कड़ा रूख
पुलिस ने पिछले दिनों ही इस जमीन खरीद घोटाले के आरोपी के तौर पर बुलंदशहर से अजीत नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला है कि अजीत अथॉरिटी के तत्कालीन ओएसडी का रिश्तेदार है। मामले में अथॉरिटी के सीईओ रहे पीसी गुप्ता जेल में हैं। 15 दिसंबर को तत्कालीन एसीईओ सतीश कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मामले में लचीले रवैये को देखते हुए सरकार ने कड़ा रूख अपनाया।