केंद्र सरकार ने अभी तक पूरे देश में भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी बनाने पर कोई फैसला नहीं लिया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में पूछे एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को कहा कि अभी तक सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन्स (एनआरआईसी) को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
बता दें कि संसद के मौजूदा मानसून सत्र में ही कुछ दिन पहले नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) को लेकर सरकार ने अभी नियम तैयार नहीं होने की बात कही है। सरकार ने नियम तैयार करने के लिए छह महीने यानी 9 जनवरी, 2022 तक का समय मांगा है।
गौरतलब है कि एनआरसी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर कई सवाल भी उठते रहे हैं। इस पूरे मामले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी बयान दे चुके हैं। उन्होंने असम के दौरे पर सफाई दी थी कि सीएए और एनआरसी का हिंदू-मुसलमान विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है और कुछ लोग अपने राजनीतिक हित साधने के लिए इन दोनों मामलों को साम्प्रदायिक रंग दे रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इस नागरिकता कानून के कारण किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा।
भागवत ने ‘सिटिजनशिप डिबेट ओवर एनआरसी एंड सीएए-असम एंड द पॉलिटिक्स ऑफ हिस्ट्री' (एनआरसी और सीसीएए-असम पर नागरिकता को लेकर बहस और इतिहास की राजनीति) शीर्षक वाली पुस्तक के विमोचन के बाद कहा था कि स्वतंत्रता के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि अल्पसंख्यकों का ध्यान रखा जाएगा और अब तक ऐसा ही किया गया है। हम ऐसा करना जारी रखेंगे। सीएए के कारण किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने एनआरसी के बारे में कहा कि सभी देशों को यह जानने का अधिकार है कि उनके नागरिक कौन हैं। उन्होंने कहा था कि यह मामला राजनीतिक क्षेत्र में है क्योंकि इसमें सरकार शामिल है... लोगों का एक वर्ग इन दोनों मामलों को सांप्रदायिक रूप देकर राजनीतिक हित साधना चाहता है।