अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने सरकार द्वारा नई मुक्त व्यापार संधि (आरसीईपी) पर सहमति देने की निन्दा की। समिति ने इसके पुरजोर विरोध करने का एलान किया है। समिति का मानना है कि इस संधि से देश में कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, खाद्यान्न प्रसंस्करण जैसे उद्योगों पर विपरीत असर पड़ेगा और देश में बेरोजगारी बढ़ेगी। समिति ने मांग की है कि इस समझौते पर सरकार तब तक हस्ताक्षर न करे, जब तक इससे प्रभावित लोगों को इसका अध्ययन करने और उसके बिंदुओं पर राय देने का मौका न मिले।
एआईकेएससीसी ने केंद्र सरकार द्वारा इस साल 4 नवम्बर को बैंकाक में नई मुक्त व्यापार संधि पर वार्ता कर हस्ताक्षर करने की चल रही प्रक्रिया पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि वर्किंग ग्रुप 30 अक्टूबर को होने वाले विशेष सत्र में इस पर मुख्य एजेंडे के तौर पर चर्चा करेगा।
 एआईकेएससीसी का कहना है कि यह समझौता दूध व दूध उत्पादों, प्लांटेशन उत्पादों, इलेक्ट्रानिक्स, वाहनों के पुर्जों और अन्य कई मैन्युफैक्चरिंग सामानों, जिनका भारी सब्सिडी के माध्यम से सस्ते में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया तथा आसियान देशों में उत्पादन होता है, आयात कर घटाकर शून्य करने के लिए भारत को संकल्पबद्ध करता है।
किसान परिवारों की होगी जीविका प्रभावित
समिति का मानना है कि हमारे लिए विशेष महत्व कृषि उत्पादन का है, जिसमें संकट बढ़ने से दूध के उत्पादन से जुड़े करोड़ों कृषक परिवारों का जीवन व जीविका प्रभावित हो जाएगी। देश के कई किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से इस विषय पर अपनी चिंता जताई और उससे आग्रह किया है कि वह इस समझौते पर हस्ताक्षर न करे। केंद्र सरकार द्वारा संधि की शर्तों को जनता और राज्य सरकारों से भी गुप्त रखना किसी भी तरह से देश हित में नहीं है। वैसे भी कृषि विषय राज्य सरकारों के तहत आता है।
विशेष सत्र में होगी इस मुद्दे पर चर्चा
एआईकेएससीसी देश के 212 किसान संगठनों का एक संयुक्त मंच है और अपने सदस्य संगठनों के माध्यम से वह सभी करोड़ों किसान परिवारों से जुड़ा हुआ है। उसके घटक संगठन उन विरोध कार्यक्रमों का हिस्सा हैं जो अब तक देश भर में आरसीईपी के विरुद्ध विरोध सभाएं कर रहे हैं और इन सभी ने सरकार से मांग की है कि वार्ता की सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से जनता के सामने रखी जानी चाहिए।
एआईकेएससीसी का वर्किंग ग्रुप 30 अक्टूबर को अपने विशेष सत्र में आरसीईपी पर मुख्य एजेंडे के तौर पर विचार विमर्श करेगा और इस मुद्दे पर 31 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन में अपना पूरा कार्यक्रम घोषित करेगा।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    