पिछले दिनों केंद्र सरकार ने कश्मीर में शांति बहाली के लिए दिनेश्वर शर्मा को बातचीत के लिए अपना प्रतिनिधि घोषित किया था। इसी क्रम में इस महीने के आखिर में दिनेश्वर शर्मा के दूसरे कश्मीर दौरे से पहले सरकार सद्भावना के तौर पर पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की योजना का ऐलान कर सकती है। इसके तहत उन पत्थरबाजों के केस वापस लिए जा सकते हैं, जिनके खिलाफ पहली बार मामले दर्ज किए गए हैं।
पीटीआई के मुताबिक, इस बाबत केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच चर्चा हुई है। सरकार का यह कदम घाटी के लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाना है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि घाटी में हजारों युवाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं और हम सद्भावना के आधार पर पहली बार पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने जा रहे हैं।
शर्मा का कहना है कि घाटी के युवाओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की योजना पर काम किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने इस पर विस्तार से जानकारी नहीं दी। उन्होंने जोर दिया कि वह युवाओं पर फोकस कर रहे हैं। दिनेश्वर शर्मा ने कहा, ''मैं युवाओं को लेकर बेह चिंतित हूं। मैं युवाओं के दिमाग को कैसे बदलने पर फोकस कर रहा हूं। युवाओं में भी काफी गुस्सा है।''
पिछले साल जुलाई में हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में पत्थरबाजी काफी देखने को मिली है।
हाल ही में फुटबॉलर से आतंकी बनने वाले माजिद खान की घर वापसी पर राज्य पुलिस ने उसके खिलाफ केस नहीं दर्ज करने का फैसला लिया था। इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य सरकार से किशोरों के मामलों में सहानुभूति दिखाने और उनको जेल से सुधार गृह में हस्तांतरित करने को कहा था।