भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने संयुक्त राष्ट्र से "भारत में गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन" की जांच का अनुरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दंगों में जिस तरह निर्मम हत्याएं की गई है और पुलिस मूकदर्शक बनी रही, उस पर सवाल खड़ा होना लाजमी है।
आजाद ने मानवाधिकारों के संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने पत्र में लिखा है, " अब तक 47 की मौत की पुष्टि हो चुकी है और हर घंटे यह आंकड़ा बढ़ रहा है। पुरुषों को भीड़-भीड़ द्वारा मारा जा रहा है। महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया जा रहा है।"
पलायन करने को मजबूर हैं लोग
उन्होंने कहा, "हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और अपने गृहनगर पलायन कर रहे हैं । इसे रोकने में राज्य प्रशासन नाकाम रहा है।" उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस "मूकदर्शक" बनी रही। दलित समूह के प्रमुख ने आरोप लगाया कि दिसंबर में नागरिकता (संशोधन) कानून के हस्ताक्षरित होने के बाद, देश में सामाजिक-राजनीतिक स्थिति "राज्य प्रायोजित अत्याचारों की नई ऊंचाइयों" पर पहुंच गई है।
बता दें कि हिंसा के चलते नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांद बाग, शिव विहार, भजन पुरा, यमुना विहार और मुस्तफाबाद में कम से कम 47 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक घायल हो गए। इससे पहले जामा मस्जिद के सीएए विरोधी प्रदर्शन में चंद्रशेखऱ आजाद शिरकत कर चुके हैं।
राजभर ने की मुलाकात
वहीं, सोमवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर से लखनऊ मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर प्रदेश में नए सियासी समीकरण बनने की चर्चा है। चंद्रशेखर ने पिछले दिनों अपनी नई पार्टी के गठन का ऐलान किया है। 15 मार्च को वह अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान करेंगे।