भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को शर्तों के साथ दिल्ली आने की इजाजत दे दी गई है लेकिन उन्हें दिल्ली आने से पहले डीसीपी को सूचित करना पड़ेगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर वह दिल्ली आते हैं तो उन्हें दिए गए पते पर ही रुकना होगा।
असल में चंद्रशेखर को दरियागंज प्रदर्शन के मामले में 15 जनवरी को सशर्त जमानत दी गई थी और उनके चार सप्ताह के लिए दिल्ली आने पर रोक लगा दी गई थी और चुनावों तक कोई धरना आयोजित नहीं करेंगे। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी कि प्रदर्शन करना किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है और दिल्ली पुलिस ऐसे बर्ताव कर रही है 'जैसे कि जामा मस्जिद पाकिस्तान है'।
शर्तों में बदलाव के लिए की थी याचिका दायर
चंद्रशेखर ने जमानत की शर्तों में बदलाव के याचिका दायर की थी। आजाद के वकील ने कहा कि वह हर हफ्ते आंबेडकर भवन में मीटिंग के लिए आते हैं जिसके लिए उन्हें दिल्ली में रहने की जरूरत है। इससे पहले सरकारी वकील ने दलील दी थी कि आजाद के घर के पते पर पड़ोसियों ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया है।
लोकतंत्र में सभी का अधिकार है
कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि किसी राजनीतिक नेता के चुनाव में हिस्सा लेने पर क्या आपत्ति है? क्या आपके पास ऐसा कोई सबूत है कि आजाद के दिल्ली में रहने पर कानून-व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है? अगर आपको ऐसा लगता है तो फिर आपके पास एनएसए की शक्ति है। जज ने इस दौरान पुलिस से पूछा कि क्या आजाद पर कोई भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप है ? इस पर एसीपी ने कहा कि नहीं ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ा पर्व होता है। इसके लिए सबको आगे आना होगा और चुनाव के दौरान कोर्ट चंद्रशेखर आजाद को दिल्ली आने की इजाजत है।