छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तीन अप्रैल को हुई मुठभेड़ के बाद अगवा किए गए जवान राकेश्वर सिंह मनहास की रिहाई के लिए नक्सलियों ने शर्त रखी है। मंगलवार को दो पेज की चिट्ठी लिखकर कहा है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम का एलान करे। इसके बाद वो सीआरपीएफ के कमांडो राकेश्वर सिंह को छोड देंगे।
अपनी चिट्ठी में नक्सलियों ने लूटे हुए 14 हथियारों और 2 हजार से ज्यादा कारतूस मिलने की बात भी स्वीकार की है। साथ ही माना है कि चार नक्सली उस हमले में मारे गए। नक्सलियों ने बाकायदा एक प्रेस रिलीज जारी करके ये बात बताई है। ये प्रेस नोट नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने जारी किया है। इससे पहले पुलिस ने दावा किया था कि मुठभेड़ में कम से कम 12 नक्सली मारे गए हैं।
नक्सलियों ने जारी पर्चे में कहा है कि ओडी सन्नू, पदाम लखमा, कोवासी बुधरू और नूपा सुरेश मुठभेड़ में मारे गए हैं। इनसे से सन्नू का शव उनको नहीं मिला है। इसके प्रमाण के तौर पर हथियारों की तस्वीर भी जारी की गई है। पर्चे में कहा गया है कि वे बातचीत के विरोध में नहीं हैं, पर इसके लिए माहौल बनाना सरकार का काम है। जवान की रिहाई तब तक नहीं होगी, जब तक सरकार मध्यस्थ नहीं नियुक्त कर देती। तब तक वह हमारे पास सुरक्षित रहेगा।
वहीं, अगवा जवान की रिहाई के लिए पुलिस चौतरफा प्रयास कर रही है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी ने बताया कि मीडिया समेत गांव के मध्यस्थों को इस काम में लगाया गया है। इलाके की सघन सर्चिंग भी की जा रही है। अभी जवान का पता नहीं चला है, पर जल्द ही उसे रिहा करा लेंगे।
मंगलवार को सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि इस हमले में निश्चित तौर पर 28 नक्सली मारे गए हैं और ये संख्या ज्यादा भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि लापता एक जवान का अभी कुछ पता नहीं चल पाया है। शनिवार को हुए इस बड़े हमले में 22 जवान शहीद हो गए थे। शनिवार को सुरक्षा बलों पर नक्सलियों की बटालियन नंबर एक ने हमला किया था। इस बटालियन ने बस्तर क्षेत्र में बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया है जिसका नेतृत्व नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा करता है।