एयरसेल मैक्सिस डील मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की अंतरिम सुरक्षा 26 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है।
वर्ष 2006 में एयरसेल-मैक्सिस समझौते में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी मिलने के मामले की जांच ईडी और सीबीआई कर रही है। आरोप है कि इस समझौते को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि यह समझौता 3500 करोड़ रुपये का था और इसमें कैबिनेट कमेटी की मंजूरी अनिवार्य थी।
ईडी और सीबीआई ने दायर किया है आरोप पत्र
ईडी ने पिछले साल 25 अक्टूबर को मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें चिदंबरम और कुछ अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। सीबीआई ने मामले में 18 लोगों के खिलाफ पिछले साल 19 जुलाई को दूसरा आरोप पत्र दाखिल किया था।
क्या थी एयरसेल-मैक्सिस डील
मैक्सिस मलेशिया की एक कंपनी है जिसका मालिकाना हक एक बिजनेस टॉयकून टी आनंद कृण्णन के पास है, जिन्हें टैक नाम से भी जाना जाता है। टैक श्रीलंका की तमिल पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले एक मलेशियाई नागरिक हैं। एयरसेल को सबसे पहले एक एनआरआई टॉयकून सी सिवसंकरन (सिवा) ने प्रमोट किया था, जो कि तमिलनाडु के मूल निवासी थे।
साल 2006 में मैक्सिस ने एयरसेल की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। बाकी की 26 फीसदी हिस्सेदारी अब एक भारतीय कंपनी के पास है, जो कि अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप से संबंधित है। इन 26 फीसदी शेयर का मालिकाना हक सुनीता रेड्डी के पास है जो कि अपोलो के ग्रुप फाउंडर डॉ सी प्रताप रेड्डी की बेटियों में से एक हैं।
ये डील उस वक्त विवादों के घेरे में आ गई, जब 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला उजागर हुआ। तब देश के सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वो इस मामले में ए राजा के पूर्ववर्ती मंत्रियों की जांच करे।