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‘बच्चे दवाब में नहीं, उन्मुत वातावरण में ही रुचिकर कार्य कर सकते हैं’

बच्चों पर शिक्षा के लिए दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि बच्चे उन्मुक्त वातावरण में ही रुचिकर कार्य...
‘बच्चे दवाब में नहीं, उन्मुत वातावरण में ही रुचिकर कार्य कर सकते हैं’

बच्चों पर शिक्षा के लिए दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि बच्चे उन्मुक्त वातावरण में ही रुचिकर कार्य कर सकते हैं। दबाव में बच्चे दिशा से भ्रमित हो जाते हैं और उनका टेलेंट सामने नहीं आ पाता है। इसमें शिक्षण संस्थान के साथ अभिभावकों की भूमिका अहम है। यह विचार अर्वाचीन वर्ल्ड स्कूल के वार्षिकोत्सव ‘अनुभूति’ में मुख्य अतिथि एसडीएम लोनी निखिल चक्रवर्ती ने व्यक्त किए।

अर्वाचीन ग्रुप आफ स्कूल के चेयरमैन अनुरूप शर्मा ने सभी अभिभावकों, शिक्षकों एवं बच्चों का सुंदर प्रस्तुति और आयोजन करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में बच्चों में सांस्कृतिक मूल्यों का होना जरूरी है और इसमें शिक्षण संस्थान अहम भूमिका निभा सकते हैं।

डॉ. उर्मिला शर्मा ने बचपन की यादों को कविता के रूप में सबके समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे का प्राथमिक स्कूल उसका घर है और मां ही बच्चों में उन संस्कारों को पिरोती है जिससे समाज का निर्माण होता है।

कस्टम इंस्पेक्टर अंकित चौधरी ने अभिभावकों से कहा कि उम्र से पहले बच्चों को मोबाइल देना उन्हे गलत मार्ग पर ले जा सकता है। बच्चे आजकल मोबाइल के जाल में फंसे रहते हैं और इससे उनके भविष्य पर इसका खासा असर पड़ता है। कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ और बच्चों ने अपनी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। समसामयिक विषयों से जुडे मंचन की सभी ने सराहना की। कार्यक्रम में हेडमिस्ट्रेस मोना लूथरा, कुसुमलता, प्रभा गर्ग, सौम्या अनुरूप शर्मा,ज्योति नौटियाल,अधीश वत्स आदि मौजूद रहे।

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