देश में ट्रांसजेडरों को मेनस्ट्रीम से जोड़ने और उनकी तरक्की का रास्ता खोलने के लिए कई तरह की कोशिशें होती रही हैं। बिहार में ट्रांसजेडरों को अब सिक्योरिटी गार्ड बनाने की तैयारी है। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अफसरों से पूछा है कि वह इस बारे में पूरी स्थिति से अवगत कराएं।
इस मामले में ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड के सदस्य ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा है कि वह इस बात का पता लगाएं कि क्या टांसजेडर समुदाय को महिलाओँ के शॉर्ट स्टे होम्स के सिक्योरिटी गार्ड के लिए भर्ती किया जा सकता है।
कभी समाज में ट्रांसजेडर्स के साथ भेदभाव होता रहा है लेकिन अब इस समुदाय के हालात काफी बदल रहे हैं। सरकार ने भी ट्रांसजेंडरों की समस्या सुनने के लिए एक ट्रांसजेंडर जस्टिस बोर्ड का गठन किया है। मौजूदा समय में ट्रांसजेंडर समाज में जागरूकता लाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। बिहार के कुछ जिलों में घरों में शौचालय बनाने और खुले में शौच को रोकने के लिए जिला प्रशासन ट्रांसजेंडरों का इस्तेमाल कर रहा है। समाज के द्वारा भी अब इनकी सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाने लगा है। केंद्र सरकार ने राज्यों को हाल ही में एक एडवाइजरी जारी कर सलाह दी है कि ट्रांसजेंडरों को उनकी सुविधा के अनुसार पुरुष या महिला शौचालयों के इस्तेमाल की आजादी दी जाए।
कौन हैं ट्रांसजेंडर
जिन बच्चों का जन्म बॉयोलॉजिकल मेल या फीमेल के रूप में नहीं होता है, उन्हें ट्रांसजेंडर कहा जाता है। लेकिन इस कैटेगरी में वे लोग भी आते हैं जिनका लिंग जन्म के समय तो तय कर दिया जाता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ही उनका स्वभाव बदलने लगता है। जैसे लड़के के रूप में जन्म लेनेवाला उम्र बढ़ने के साथ लड़कियों जैसा बर्ताव करना शुरू कर दे या कोई लड़की बड़ी होकर खुद को पुरुष महसूस करने लगे। ऐसे लोग सेक्स चेंज कराकर अपनी मर्जी से पुरुष या महिला बन जाते हैं।