दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे नालों से गाद निकालने के काम में शामिल ठेकेदारों को तब तक भुगतान न करें, जब तक उनके काम का तीसरे पक्ष से ऑडिट पूरा नहीं हो जाता।
यह कदम राष्ट्रीय राजधानी के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में नाले का पानी एक कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट’ में संचालित पुस्तकालय में भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के मद्देनजर उठाया गया है।
दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के पत्र के जवाब में, मुख्य सचिव ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) को विभिन्न एजेंसियों द्वारा नालों से गाद निकालने के काम के तीसरे पक्ष से ऑडिट पर मंत्री द्वारा मांगी गई जानकारी के साथ एक तथ्यात्मक नोट पेश करने का निर्देश दिया गया है।
उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में शहरी विकास विभाग ने 27 मई को सभी विभागों को नालों से गाद निकालने के काम का तीसरे पक्ष से ऑडिट कराने के लिए पत्र लिखा था।
कुमार ने कहा कि सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे नालों से गाद निकालने के काम में लगे किसी भी ठेकेदार को तब तक कोई भुगतान न करें, जब तक कि इस तरह के काम को तीसरे पक्ष के ऑडिट के माध्यम से सत्यापित नहीं किया जाता है।
भारद्वाज ने मंगलवार को मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में शहर में जल निकासी से संबंधित लंबित फैसलों को लेकर उनके दावे पर स्पष्टीकरण मांगा था।