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राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के रुख की कांग्रेस ने की सराहना तो मोदी सरकार ने दी ये प्रतिक्रिया

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राजद्रोह कानून यानी आईपीसी की धारा 124ए के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं पर...
राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के रुख की कांग्रेस ने की सराहना तो मोदी सरकार ने दी ये प्रतिक्रिया

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राजद्रोह कानून यानी आईपीसी की धारा 124ए के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ऐतिहासिक आदेश दिया गया। कोर्ट ने इसकी पूरी तरह समीक्षा करने तक केन्द्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे राजद्रोह के तहत नए केस दर्ज न करें। राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के रुख की कांग्रेस ने जहां सराहना की है। वहीं, केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन ने रिजिजू अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय संविधान के प्रावधानों और मौजूदा कानूनों का सम्मान हो।

देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के रुख की कांग्रेस ने सराहना की है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ऐतिहासिक निर्णय! सुप्रीम कोर्ट का संदेश साफ है। सत्ता के सिंहासन पर बैठे आवाज कुचलने वाले निरंकुश शासक जान लें कि स्वयंभू राजा और बेलगाम सरकारों की जन विरोधी नीतियों की आलोचना का गला नहीं घोंट सकते। सत्ता को आईना दिखाना राष्ट्रधर्म है, देशद्रोह नहीं।” 

वहीं, राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने कहा, सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। राहुल गांधी ने राजद्रोह कानून पर रोक से संबंधित खबर को शेयर करते हुए ट्वीट किया, सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं। सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है। डरो मत! 

 

राजद्रोह कानून पर कोर्ट की रोक के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “हमने अपनी बातों को स्पष्ट कर दिया है और कोर्ट के सामने प्रधानमंत्री का इरादा भी बताया है। अब इसके बाद क्या होता है, ये मुझे नहीं पता लेकिन मैं ये कहना चाहता हूं कि हमें कोर्ट का सम्मान करना चाहिए।”

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि हमने अपनी स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है। इसके साथ ही , प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के बारे में भी कोर्ट को बता दिया है। हम कोर्ट और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन एक लक्ष्ण रेखा (लाइन) है, जिसे सभी अंगों द्वारा अक्षरश: और भावना में सम्मान किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान साफतौर पर कहा कि केन्द्र सरकार इस पर दोबारा विचार करे और जब तक इस पर पुनर्विचार नहीं हो जाता है तब तक राजद्रोह कानून के तहत राज्य और केन्द्र सरकार इस धारा के तहत कोई नया केस दर्ज नहीं करे। इसके साथ ही, जिन लोगों पर राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं वे जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं।

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि केन्द्र सरकार इस कानून पर विचार करेगी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। अटॉर्नी जनरल ने भी ये बातें कही थी कि हनुमान चालीसा केस में राजद्रोह की धारा लगाई गई थी। ऐसे में जब तक इसकी समीक्षा नहीं की जाती है, इस धारा के तहत केस दर्ज करना उचित नहीं होगा।

सीजेआई ने कहा कि यह सही होगा कि रिव्यू होने तक कानून के इस प्रावधान का इस्तेमाल न करें। हमें उम्मीद है कि केंद्र और राज्य 124ए के तहत कोई भी प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करेंगे या रिव्यू खत्म होने के बाद कार्यवाही शुरू करेंगे। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है।

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