नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने इसकी वैधता को चुनौती देते हुए कहा है कि यह बिल समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस, पीस पार्टी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
संसद में कांग्रेस ने बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का संकेत दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि वह इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे। जिस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि संसद को मत डराइये कि उसके अधिकार क्षेत्र में कोर्ट आ जाएगी।
मुस्लिम लीग ने की रद्द करने की मांग
इससे पहले गुरुवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने इसकी वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दायर की। लीग का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है। उसने कोर्ट से इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा ने इस बिल की वैधता के खिलाफ शुक्रवार को याचिका दाखिल की। महुआ के वकील ने चीफ जस्टिस बोबडे से मामले की जल्दी सुनवाई का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि या तो इस मामले की सुनवाई आज यानी शुक्रवार को की जाए या 16 दिसंबर को। इस पर जस्टिस बोबडे ने उनसे मेन्शनिंग अफसर के पास जाने के लिए कहा।
राष्ट्रपति से मिल चुकी है मंजूरी
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। हालांकि इसके लिए उन्हें यह साबित करना पड़ेगा कि इन देशों में उन्हें धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया गया है। संसद के दोनों सदनों में इससे संबंधित विधेयक पारित होने के बाद गुरुवार की रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे मंजूरी दे दी।