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संविधान संशोधन हमारा आंतरिक मामला : नेपाली विदेश मंत्री

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की भारत यात्रा से पहले आज नेपाल ने साफ कर दिया है कि संविधान संशोधन का मुद्दा नेपाल का आंतरिक मामला है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को पूर्व में उपजे नाकेबंदी जैसे मसलों पर आत्मचिंतन करना चाहिए।
संविधान संशोधन हमारा आंतरिक मामला : नेपाली विदेश मंत्री

भारत यात्रा पर आए नेपाली विदेश मंत्री प्रकाश शरण महत ने सुरक्षा के मुद्दों पर भी भारत को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि नेपाल अपनी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि सभी द्विपक्षीय समस्याओं के बारे में सिर्फ कूटनीतिक माध्यमों से ही सूचना दी जानी चाहिए। महत ने कहा कि नेपाल जमीनी स्तर पर ठोस परिणाम देखना चाहता है और इसके लिए बाजार तक पूर्ण पहुंच के अलावा भारतीय परियोजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन जरूरी है। महत ने नेपाल रवाना होने से पहले संवाददाताओं से कहा, मुझे लगता है कि नेपाल के प्रधानमंत्री की आगामी यात्रा बहुत फलदायी होगी और हम अपने संबंधों का एक नया अध्याय शुरू करेंगे।

नए संविधान के मुद्दे पर सजातीय अल्पसंख्यक प्रदर्शनकारियों ने पिछले साल कई महीने तक सीमा की नाकेबंदी कर दी थी, जिसके कारण नेपाल और भारत के संबंधों में तनाव आ गया था। इन प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह उनके हितों के खिलाफ भेदभाव है। ओली सरकार ने भारत पर आरोप लगाया था कि उसने हर ओर से जमीन से घिरे नेपाल में मधेसियों की अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग का समर्थन करने के लिए अनाधिकारिक नाकेबंदी लगाई है। महत ने कहा, हमारा संविधान मूल रूप से बेहद समावेशी है लेकिन निश्चित तौर पर इसमें सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने माना कि कुछ परेशानियां हैं। उन्होंने कहा कि नयी सरकार इसपर काम कर रही है।

उन्होंने कहा, हम विभिन्न पक्षकारों से कई वार्ताएं कर चुके हैं। हम इसे बेहद गंभीरता से ले रहे हैं लेकिन यह एक ऐसा विषय है, जिसपर फैसला नेपाल की संसद, नेपाल सरकार और नेपाल की जनता करेगी। यह हमारी आंतरिक प्रक्रिया है। नेपालियों के लिए जो भी अच्छा होगा, हम वह निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा, जिस भी बदलाव के लिए संशोधन किया जाना है, वह पूरी तरह से नेपाल की आंतरिक प्रक्रिया है और नेपाल की जनता की मांग एवं महत्वाकांक्षा पर आधारित है। हम अपने संविधान में सुधार जारी रखेंगे। नई सरकार की भारत से उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि इसके बजाय हम विश्वास, मैत्री और सहयोग के आधार पर रिश्तों के निर्माण की बात करेंगे। उन्होंने कहा, यह यात्रा इसी लिए है।

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