निश्चित अवधि के रोजगार यानी फिक्स टर्म इंप्लायमेंट के विरोध में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) छह सितंबर को देशभर में प्रदर्शन करेगी। आरएसएस से संबद्ध इस मजदूर संगठन ने केंद्र सरकार से तत्काल इस संबंध में जारी अधिसूचना वापस लेने की मांग की है।
बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायण ने कहा कि इससे देश में बंधुआ मजदूरी जैसे हालात बनेंगे और मजदूरों के मूल अधिकारों की कोई सुरक्षा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म इंप्लायमेंट का चलन यूरोप में है। लेकिन वहां कर्मचारियों को सुरक्षा भी हासिल है। हमारे देश में मजदूरों की सुरक्षा का कोई ख्याल नहीं रखा जाता। ऐसे में शॉर्ट टर्म इंप्लायमेंट उनके शोषण का एक और जरिया बन जाएगा।
साजी ने संसद की अनदेखी कर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने के लिए भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ठेका श्रम समाप्त किए बिना मजदूरों का शोषण नहीं रोका जा सकता। वहीं, बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा कि अब ठेका श्रम भारत में रोजगार का डिफॉल्ट मॉडल बन गया है। केंद्रीय श्रम मंत्रालय की 6 अप्रैल की अधिसूचना ने कानूनी तौर पर किसी को कभी भी नौकरी पर रखने या निकालने की छूट दे दी है। इससे स्थायी नौकरियां समाप्त हो जाएंगी।
उपाध्याय ने कहा कि बीएमएसम केंद्र और राज्य सरकारों पर इस अधिसूचना को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए 6 सितंबर को देश भर में विरोध प्रदर्शन करेगा। उन्होंने बताया कि संगठित क्षेत्र में 67 प्रतिशत ठेका कर्मचारी हैं। निजी क्षेत्र में संविदा पर लोगों को रखने का चलन चरम पर है। सरकारी महकमों में भी स्थायी कर्मचारियों की संख्या में लगातार कमी की जा रही है।
इससे पहले कोचीन में अगस्त में बीएमएस की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी। इसमें भी सरकार से अधिसूचना तत्काल वापस लेने की मांग की गई थी। इसके अलावा केंद्रीय ठेका श्रम सलाहकार मंडल सीएसीएलबी की बैठक बुलाने, ठेका श्रमिकों की बढ़ती तादाद को देखते हुए नियुक्ति अधिनियम में संशोधन, समान काम- समान वेतन को अनिवार्य बनाने, ठेका श्रमिकों को बोनस, कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, पेंशन ग्रेच्युटी आदि का फायदा सुनिश्चित कराने की मांग सरकार से की गई थी।