कोरोना वायरस के मद्देनजर 4 मई से लॉकडाउन के तीसरे चरण की शुरुआत हो गई है और ये शुरुआत प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के साथ हुई। लंबे समय से की जा रही मांग को जब माना गया तो अपने घर से दूर फंसे लाखों मजदूरों को वापस जाना नसीब हुआ, लेकिन इस बीच किराये को लेकर लगातार भ्रम की स्थिति बनी हुई है। विपक्ष जहां आरोप लगा रहा है कि मुश्किल संकट में केंद्र सरकार मजदूरों से पैसा वसूल रही है तो वहीं, सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि वह किसी मजदूर से कोई पैसा नहीं ले रही है। सरकार ने इन आरोपों को झूठा बताते हुए सफाई दी कि खर्च का 85 फीसदी हिस्सा केंद्र और 15 फीसदी हिस्सा राज्य सरकारें उठा रही हैं, लेकिन किराया वसूले जाने को लेकर मजदूर कुछ और ही सच्चाई बयान करते नजर आ रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि उन्हें घर लौटने के लिए किराए के पैसे देने पड़ रहे हैं।
दरअसल, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल केंद्र सरकार पर तब हमलावर हुए जब यह बात सामने आई कि महाराष्ट्र के नासिक से सैकड़ों मजदूरों और कामगारों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन लखनऊ पहुंची, लेकिन वहां पहुंचने के बाद मजदूरों से ट्रेन के किराये के रूप में 370 रुपये लिए गए।
मजदूरों ने किराया लिए जाने को लेकर कही ये बात
मजदूरों का कहना है कि उन्हें अपने घर पहुंचने के लिए लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो और टिकटों के कुछ फोटो वायरल हो रहे हैं, जिनसे यह बात सामने आई है कि मजदूर किराए का पूरा पैसा भरकर ही घर वापस लौट पा रहे हैं। मजदूरों का ये भी कहना है कि उनसे न सिर्फ किराया ही बल्कि उनसे अतिरिक्त राशि (एक्सट्रा चार्ज) भी वसूले जा रहे हैं। टिकटों के वायरल फोटोज में देखा जा सकता है कि घर जाने के लिए किसी मजदूर से 710 रुपये तो किसी से 800 रुपये वसूल रहे हैं। वहीं, महाराष्ट्र में कुछ प्रवासी मजदूरों ने बकायदा सबूत दिखाते हुए कहा कि उनसे टिकट के पैसे वसूले गए। वही, ट्विटर पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है जिसमें मजदूर बता रहे हैं कि उनसे 315 रुपये किराये के रूप में वसूले गए जबकि टिकट पर 305 रुपये का प्रिंट है। वहीं, कुछ मजदूरों का ये भी कहना है कि उनसे करीब 500 रुपये ट्रेन का भाड़ा लिया गया है। इसके लिए सबूत के तौर पर उन्होंने टिकट भी दिखाया।
ये गुजरात के सूरत का टिकट है जो 4/5/20 को लिया गया है
वहीं, रविवार को भी एक खबर आई थी कि मुंबई के भिवंडी स्टेशन से कई घंटों के इंतजार के बाद मजदूरों को इसलिए लौटना पड़ा क्योंकि उनके पास टिकट के पैसे नहीं थे। अब जबकि ऐलान किया गया है कि सरकार टिकट का खर्च उठाएगी तो ये सवाल है कि क्या मजदूर बिना टिकट ट्रेन में बैठ सकते हैं?
रेलवे इस फॉर्मूले के तहत ले रहा पैसा
64 फीसद प्रवासी मजदूरों के पास 100 रुपये भी नहीं- रिपोर्ट
‘स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (SWAN)’ की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन में काम नहीं होने से प्रवासी मजदूरों के पास 100 रुपये से कम की पूंजी बची है। यह खबर के हवाले से है। पिछले 32 दिनों में मदद को लेकर आए फोन कॉल के आधार पर यह रिपोर्ट बनाई गई है। 16,863 लोगों से बातचीत करके इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है।
कांग्रेस का आरोप
प्रवासी मजदूरों के मामले पर कांग्रेस की ओर से आक्रामक रुख अपनाया गया और सरकार पर आरोप लगाया गया कि केंद्र मजदूरों की घर वापसी के लिए ट्रेन टिकट का पैसा वसूल रहा है। कई राज्य सरकारों ने भी इसका विरोध किया। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान किया कि प्रवासी मजदूरों की टिकट वापसी का खर्च कांग्रेस पार्टी उठाएगी, उन्होंने इसके लिए प्रदेश इकाइयों को निर्देश भी जारी कर दिया, जिसके बाद कांग्रेस का सरकार पर लगातार हमला जारी है। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, 'एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है। जरा ये गुत्थी सुलझाइए।'
सोनिया के इस बयान के बाद छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश सरकार ने भी कहा कि मजदूरों का ट्रेन टिकट का खर्च हम उठाएंगे। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि किराए का 85% खर्च हम उठा रहे हैं। राज्यों को सिर्फ 15% खर्च उठाना है।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने की आलोचना
सोनिया गांधी के विरोध के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह सरकार की कैसी संवेदनहीनता है कि भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों से रेल किराया वसूल रही है। जो भारतीय विदेशों में फंसे थे उन्हें फ्लाइट से मुफ्त में वापस लाया गया। अगर रेलवे अपने फैसले से नहीं हटती है तो पीएम केयर्स के पैसे का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है?
कांग्रेस के आरोपों पर सरकार और बीजेपी ने किया पलटवार
कांग्रेस के द्वारा लगातार लगाए जा रहे आरोपों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झूठा करार दिया है। बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि स्टेशनों पर कोई टिकट नहीं बिकेगा। रेलवे 85 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है तो 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। प्रवासी मजदूरों को कोई पैसा नहीं देना है। सोनिया गांधी क्यों नहीं कांग्रेसशासित प्रदेशों को खर्च उठाने के लिए कहतीं।
वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कांग्रेस पर ही आरोप मढ़ दिया। प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा, ‘मजदूरों से रेल किराये की सच्चाई- सभी राज्य सरकारें मजदूरों के रेल के किराये का पैसा भर रही हैं। केवल महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान सरकारें नहीं दे रहीं। वह किराया मजदूरों से ले रही हैं। बाकी सरकारें स्वयं दे रही हैं, यह तीन प्रदेशों, महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान की सरकारें मजदूरों से किराया ले रही हैं। इन राज्यों में सरकार शिवसेना गठबंधन, कम्युनिस्ट और कांग्रेस की है, यही चिल्ला रहे हैं। इसे कहते हैं 'उल्टा चोर कोतवाल को डाटें'।
सरकार की सफाई
मजदूरों से किराया वसूले जाने को लेकर लगाए जा रहे आरोपों पर सरकार की ओर से सफाई दी गई कि मजदूरों से एक पैसा भी नहीं लिया जाएगा, यात्रा का पूरा खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाएगी। इनमें 85 फीसदी खर्चा केंद्र उठाएगा और बाकी 15 फीसदी का खर्च राज्य सरकारों को उठाना होगा।
सरकार के अलावा रेलवे ने भी साफ किया कि किसी भी स्टेशन पर टिकट नहीं बेचे जा रहे हैं। टिकट उन्हीं को दिए जा रहे हैं जिन्हें राज्य सरकार भेज रही है यानी विपक्ष के आरोपों को सरकार की ओर से बेदम कर दिया गया। उधर बिहार के मुख्यमंत्री ने भी बताया कि मजदूरों की घर वापसी के लिए मजदूरों से टिकट का पैसा नहीं लिया जा रहा, बल्कि सरकार खुद पैसा खर्च कर रही है।