तमिलनाडु सरकार द्वारा मरीना बीच पर पूर्व मुख्यमंत्री और द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि के अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं देने से विवाद शुरू हो गया है। द्रमुक नेताओं ने मरीना बीच पर अंतिम संस्कार करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी पर सरकार ने इसकी जगह पूर्व मुख्यमंत्रियों सी राजगोपालाचारी और के कामराज के स्मारक के पास अंत्येष्टि करने का आग्रह किया।
सरकार के इस कदम से नाराज द्रमुक कार्यकर्ताओं ने कावेरी अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि तमिलनाडु सरकार को इस मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए। ऐसे मौकों पर सरकार और पार्टियों को राजनीति से ऊपर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलैगनार को सम्मान दिया जाना चाहिए। वह मौत के बाद भी सही जगह के हकदार हैं।
द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने मुख्यमंत्री के पलानीसामी से पत्र लिखकर करुणानिधि के लंबे सार्वजनिक जीवन को देखते हुए उनकी अंत्येष्टि के लिए सीएन अन्नादुरई के मरीना बीच स्थित स्मारक के अंदर जगह देने की मांग की थी। स्टालिन ने अपने पिता के निधन से कुछ घंटे पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की थी।
बाद में सरकार ने बयान जारी कर कहा कि मद्रास हाइकोर्ट में चल रहे कई केस और अन्य कानूनी अड़चनों की वजह से मरीना बीच पर जगह नहीं दी जा सकती। बयान में कहा गया कि सरकार राजाजी और कामराज के स्मारकों के पास सरदार पटेल रोड पर दो एकड़ जमीन देने को तैयार है।
कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि करुणानिधि चूंकि अभी मुख्यमंत्री नहीं थे इस कारण सरकार मरीना बीच पर जगह नहीं देना चाहती थी। पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर ही हुआ था और इनके स्मारक भी यहीं बने हुए हैं।