बिहार के भागलपुर में रामनवमी के जुलूस के दौरान दो समुदायों में हुई हिंसा के मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अरिजीत शाश्वत और अन्य नौ आरोपियों की जमानत को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
#UPDATE Court rejected the bail plea of Union Minister Ashwini Choubey's son Arijit Shashwat in Bhagalpur communal violence case #Bihar https://t.co/u16PsbQ5Ry
— ANI (@ANI) March 31, 2018
अरिजीत शाश्वत की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि पूरे राज्य को शाश्वत के कारण साम्प्रदायिक हिंसा झेलनी पड़ रही है। जो हिंसा का दौर भागलपुर से शुरू हुआ, वह फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस दलील से नीतीश कुमार सरकार ने अपने सहयोगी भाजपा को वर्तमान हिंसा के लिए जिम्मेदार माना है।
बता दें कि अरिजीत पर 17 मार्च को बिना अनुमति जुलूस निकालने समेत सांप्रदायिक दंगा फैलाने सहित कई आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में अर्जित शाश्वत चौबे, अभय कुमार घोष, प्रमोद वर्मा पम्मी, देव कुमार पांडेय, सुरेंद्र पाठक, अनुप लाल साह, संजय भट्ट, प्रणव साह उर्फ प्रणव दास के खिलाफ न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था।
फिलहाल इस फैसले के बाद शाश्वत के पास अब कोर्ट में सरेंडर करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। भाजपा के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस मामले में पार्टी की जो आलोचना हो रही है उससे बचने का यही एक मात्र विकल्प है। शाश्वत ने प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए पटना हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है। देखना है कि वह उसके फैसले का इंतजार करते हैं या सोमवार को सरेंडर करते हैं?
उधर, अरिजीत शाश्वत को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी भी भाजपा पर हमलावर हो रही हैं। जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी के बाद विधायक श्याम रजक ने भी कह दिया कि अपराधी किसी का बाप या बेटा नहीं होता है। राज्य सरकार ने माना कि भागलपुर में शाश्वत के जुलूस से शुरू हुए विवाद ने पूरे राज्य को साम्प्रदायिक हिंसा की चपेट में ले लिया