देश की सड़कों के गड्ढे दिन पर दिन खतरनाक होते जा रहे हैं। गुरुवार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चिंता जताई है। साल 2013-2017 के बीच सड़कों पर गड्ढों के कारण 14,926 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
‘गड्ढों के कारण मरने वालों की संख्या आतंकियों द्वारा की गई हत्याओं से ज्यादा’
आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले पांच वर्ष में सड़कों पर हुए गड्ढों के कारण मरने वालों की संख्या सीमा पर या आतंकवादियों द्वारा की गई हत्याओं से ज्यादा है। पीठ ने कहा कि 2013 से 2017 के बीच सड़कों पर गड्ढों के कारण हुई मौतों का आंकड़ा दिखाता है कि अधिकारी सड़कों की देखरेख नहीं कर रहे हैं।
कोर्ट ने सड़क सुरक्षा समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर केंद्र से मांगा जवाब
कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश के. एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर केंद्र से जवाब मांगा है। पीठ ने कहा कि इस मामले पर अगली सुनवाई अब जनवरी में होगी।
2017 में सड़कों के गड्ढों ने ली 3,597 लोगों की जान
हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में इन गड्ढों ने 3,597 लोगों की जान ली है यानी हर दिन 10 लोगों की मौत इन गड्ढों के कारण हुई है। वैसे तो समान्य दिनों में लोगों को ये गड्ढे दिख जाते हैं और वह इनसे बचकर भी निकल जाते हैं लेकिन बारिश के दिनों में इनसे बच पाना नामुमकिन सा होता है। अगर साल 2016 के आंकड़े देखें तो 2017 में यह आंकड़ा 50 फीसदी तक बढ़ गया है।
आतंकी घटनाओं में कुल 803 लोगों की जान गई
अगर देशभर में इन गड्ढों से होने वाली मौतों की तुलना आतंकी घटनाओं से करें तो आतंकी घटनाओं में कुल 803 लोगों की जान गई है, जिसमें आतंकवादी, सुरक्षाकर्मी और आम नागरिक तीनों ही शामिल हैं। महाराष्ट्र में साल 2017 में 726 लोगों को गड्ढों के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। महाराष्ट्र का आंकड़ा 2016 की तुलना में 2017 में दोगुना हो गया।
आंकड़ों के मुताबिक, इस मामले में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है, जहां 987 लोगों की मौत हुई। यूपी के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर हरियाणा और गुजरात हैं, जहां का रिकॉर्ड सबसे खराब रहा। वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में भी साल 2017 में गड्ढों के चलते 8 लोगों की मौत हुई।