नागालैंड के मौजूदा हालात पर चर्चा के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने 23 दिसंबर को बैठक की। इसमें निर्णय लिया गया कि नागालैंड में अफस्पा को वापस लेने की जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी। इस संबध में नागालैंड सरकार ने कहा कि राज्य से अफस्पा हटाया जाए या नहीं, इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी और वर्तमान परिस्थियों को देखते हुए वहीं इस विषय पर फैसला लेगी।
बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के अलावा नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, नागालैंड के डिप्टी सीएम वाई पैटन और एनपीएफएलपी नेता टीआर जेलियांग भी शामिल थे। राज्य सरकार के मुताबिक, नागालैंड के हालातों का जायजा लेकर यह कमेटी 45 दिन में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और इसकी सिफारिशों के आधार पर सरकार अफस्पा को हटाने को लेकर फैसला लेगी। समिति की अध्यक्षता पूर्वोत्तर के लिए गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव करेंगे और इसमें नागालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक शामिल होंगे।
ओटिंग की घटना को लेकर राज्य सरकार ने कहा कि घटना में सीधे तौर पर शामिल सैन्य इकाई और सैन्य कर्मियों के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी, और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी। ओटिंग की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
नागालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 11 अन्य घायल हुए. पुलिस ने बताया था कि गोलीबारी की पहली घटना संभवत: गलत पहचान का मामला थी। राज्य में विवादास्पद कानून को वापस लेने की मांग तेज हो गई थी। 20 नवंबर को, नागालैंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें भारत सरकार से इस क्षेत्र से अफफ्सा को निरस्त करने की मांग की गई थी। बता दें कि विवादास्पद अफस्पा कानून सशस्त्र बलों को "अशांत" के रूप में नामित क्षेत्रों में वारंट के बिना लोगों को हिरासत में लेने और गिरफ्तार करने के लिए व्यापक अधिकार देता है।