राफेल पर सोमवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार करते हुए कहा कि हमने कैग को विमान की कीमत से जुड़ी हर जानकारी मुहैया करा दी है। संसदीय प्रणाली के तहत कैग पहले इसे देखता है और इसके बाद ही यह रिपोर्ट संसदीय कमेटी के पास जाती है।
एक प्रेस कांफ्रेस में रक्षा मंत्री ने कहा कि संसदीय कमेटी द्वारा इसे देखने के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जा सकता है। यह एक पूरी प्रक्रिया है जिसकी शुरुआत कर दी गई है। उन्होंने कहा कि हमनें कोर्ट को दिए अपने हलफनामा में सभी तरह के आंकड़ें और जानकारी दे दी है। हम कोर्ट से अनुरोध करेंगे कि वह उसे एक बार फिर देखे।
कांग्रेस और भाजपा हैं आमने-सामने
राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर मोदी सरकार और कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं। एक ओर जहां मोदी सरकार फैसले को अपनी जीत बता रही है तो कांग्रेस सरकार पर कोर्ट से तथ्य छुपाने और देश को गुमराह करने के आरोप लगा रही है। कांग्रेस के आरोपों के खिलाफ अब भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है। भाजपा ने देश के 70 प्रमुख स्थानों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला लिया है।
कोर्ट में दायर किया है हलफनामा
केंद्र सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया है और राफेल लड़ाकू विमान डील पर शीर्ष अदालत के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है, जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) का जिक्र है। इस पर कांग्रेस का आरोप है कि न्यायालय के फैसले में पीएसी को कैग रिपोर्ट दिए जाने का जिक्र है, जबकि पीएसी को कोई रिपोर्ट नहीं मिली। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार ने देश की सबसे बड़ी अदालत को गुमराह किया है।
ये है कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने डील पर दायर की गई याचिका पर कहा कि राफेल डील पर कोई संदेह नहीं है। राफेल की गुणवत्ता में पर कोई सवाल नहीं है। हमने सौदे की पूरी प्रक्रिया पढ़ी है। विमान की कीमत देखना हमारा काम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की जांच को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।