दिल्ली की एक अदालत ने 2015 के अपहरण मामले में पांच लोगों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने जो सबूत पेश किए उनपर विश्वास नहीं किया जा सकता और उन पर संदेह पैदा होता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल अहलावत ने 24 फरवरी को अपने आदेश में कहा, “अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य स्वीकार करने योग्य नहीं हैं और उन पर गंभीर संदेह है। वे किसी भी तरह भरोसे के लायक नहीं हैं।”
अदालत ने आरोपी व्यक्तियों रिजवान, रोहित, सलीम, गुलजार और शेरा को बरी करते हुए कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष अपराध को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा।’’
अभियोजन पक्ष के अनुसार राजेंद्र गुप्ता का 12 जुलाई 2015 को अपहरण कर लिया गया था और उनके दामाद को फोन करके 30,000 रुपये की फिरौती मांगी गई थी। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला राजेंद्र गुप्ता, उनके दामाद एवं शिकायतकर्ता अनिल कुमार और बेटे प्रदीप गुप्ता की गवाही पर टिका था, लेकिन तीनों ने अभियोजन पक्ष के बयान का समर्थन नहीं किया और विभिन्न पहलुओं पर उनके बयान विपरीत पाए गए।