दिल्ली की एक अदालत ने एक स्कूल शिक्षक को 2015 में एक नाबालिग छात्रा का गंभीर यौन उत्पीड़न करने और उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के अलावा पांच नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने और उन्हें आपराधिक रूप से धमकाने के मामले में दोषी ठहराया है।
अदालत ने कहा कि अगर कोई पुरुष किसी महिला के शरीर के किसी विशेष अंग पर बेतुके और घृणित तरीके से टिप्पणी करता है, तो यह उसकी ‘‘यौन मंशा’’ को दर्शाता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत एक स्कूल के प्रयोगशाला सहायक के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिस पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और यौन उत्पीड़न के दंडात्मक प्रावधानों के तहत आरोप लगाया गया था।
विशेष लोक अभियोजक संदीप कौर ने कहा कि पांचों पीड़ितों ने संयुक्त रूप से आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है, जो शिक्षा निदेशालय का कर्मचारी है।
अदालत ने 30 नवंबर को दिए गए आदेश में कहा, ‘‘यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध के मामलों में सिर्फ पीड़िता की गवाही भी अभियोजन पक्ष के मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त हो सकती है, लेकिन वर्तमान मामले में यह किसी एक पीड़िता का मामला नहीं है बल्कि पांच पीड़िताएं हैं, जिन्होंने आरोपी के खिलाफ गवाही दी है।’’
अदालत ने कहा कि सभी पीड़ितों की गवाही विश्वसनीय है और आरोपी के खिलाफ लगाए गए प्रत्येक के आरोप एक जैसे ही हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘कुछ तथ्य ऐसे होते हैं जो पीड़ित अपने एक बयान में बताते हैं लेकिन दूसरे बयान में उसके बारे में नहीं बताते, लेकिन इस मामले में पीड़ित स्कूल जाने वाले बच्चे हैं और उनकी उम्र 12 वर्ष से कम है, इसलिए उनसे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि उनके बयान प्रत्येक चरण में पूरी तरह एक जैसे रहेंगे।’’
अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि लड़कियों ने ‘‘झूठा मामला’’ दर्ज कराया क्योंकि वे आरोपी से नाराज थीं। अदालत ने कहा कि पीड़ितों ने पहले स्कूल के प्रधानाचार्य से शिकायत की थी।
अदालत ने कहा कि आरोपी के मोबाइल फोन से वीडियो क्लिप बरामद की गई, जिससे साबित होता है कि उसने लड़कियों की क्लिप उस समय बनाई थी जब वे स्कूल में खेल रही थीं या नाच रही थीं।
अदालत ने कहा कि आरोपी ने एक पीड़िता के शरीर के अंगों पर टिप्पणी की, एक अन्य लड़की के कंधे और कमर को छुआ तथा सभी पांचों पीड़ितों से स्तनपान कराने वाली माताओं और शिशुओं के बारे में टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि आरोपी के समग्र आचरण को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उसने ‘‘ये सब यौन इरादे से किया’’।
अदालत ने कहा, ‘‘जब भी कोई व्यक्ति किसी महिला के शरीर के किसी विशेष अंग पर बेतुके और घृणित तरीके से टिप्पणी करता है और वह भी शरीर के ऐसे अंग के बारे में जो महिला की गरिमा से संबंधित है, तो यह उस पुरुष की यौन मंशा को दर्शाता है।’’
अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी सामान्य विवेकशील व्यक्ति बिना किसी यौन इरादे के, कभी भी किसी बालिका के साथ इस प्रकार की टिप्पणी या व्यवहार नहीं करेगा।
अदालत ने आरोपी को आपराधिक धमकी का दोषी ठहराते हुए कहा, ‘‘आरोपी ने पीड़ितों को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने आरोपी की बातचीत किसी को बताई तो वह उन्हें धोखाधड़ी के मामले में फंसा देगा।’’ इस संबंध में सजा को लेकर बाद में सुनवाई होगी।