दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सीबीआई की उस अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें सीबीआई ने रिश्वत कांड में राकेश अस्थाना और डिप्टी एसपी देवेन्द्र कुमार के खिलाफ जांच पूरा करने के लिए और मोहलत मांगी थी।
सीबीआई ने राकेश अस्थाना खिलाफ जांच पूरा करने के लिए 6 महीने का समय मांगा था। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने रिश्वत के आरोपों पर राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था। जस्टिस नाजमी वजीरी ने सीबीआई के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार और कथित बिचौलिये मनोज प्रसाद के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से भी इनकार कर दिया था। मामले में कोर्ट ने सीबीआई को 10 हफ्ते में जांच को पूरा करने का निर्देश दिया था।
छुट्टी पर भेज दिया गया था
रिश्वत कांड के बाद सीवीसी की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दोनों की छुट्टी सीबीआई से कर दी गई थी। इस रिश्वत कांड में राकेश अस्थाना पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके खिलाफ वह कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई से भी जवाब तलब किया था। इससे पहले सीबीआई ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना से जुड़े मामले की सभी फाइलें सीवीसी को सौंप दी थीं।
क्या है पूरा मामला
राकेश अस्थाना और कई अन्य पर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े सतीश साना नाम के व्यक्ति के मामले को रफा-दफा करने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई थी। इसके एक दिन बाद डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया था। आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया था और ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया था। चार्ज लेने के साथ ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अन्य अफसरों का ट्रांसफर कर दिया गया था।