दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी दिल्ली के एक बाजार में 45 रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं की अर्ध-स्थायी दुकानों को हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और पुलिस से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विभु बाखरू और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने याचिका पर एमसीडी, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया तथा उनसे दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर की तारीख तय की है।
याचिकाकर्ता विक्रेताओं ने कहा कि वे पिछले कई वर्षों से दक्षिण दिल्ली के मदनगीर में ‘शीतला माता मार्केट’ में दुकानदारी कर रहे हैं और उनके ठेले या अर्ध-स्थायी दुकानों को कथित तौर पर उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर 30 जुलाई को हटा दिया गया।
विक्रेताओं की ओर से पेश वकील संजय बनिवाल और मनीषा ने मूल स्थान पर दुकान पुन: लगाने के लिए निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया।
बनिवाल ने कहा कि रेहड़ी-पटरी दुकानदार (आजीविका संरक्षण एवं रेहड़ी-पटरी विक्रेता गतिविधि विनियमन) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किसी भी ध्वस्तीकरण अभियान से पहले याचिकाकर्ताओं को 30 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए था।
याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम उपाय के तौर पर अदालत से एमसीडी और पुलिस को उन्हें बाजार में उनके स्थान पर रेहड़ी-पटरी लगाने से न रोकने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया।