लीला सेठ की मौत पर कई नामी हस्तियों और नेताओं ने दु:ख जताया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, जस्टिस लीला सेठ की मौत पर दुख है। मानव अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई अतुलनीय है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके मौत पर दुख जताया है। वहीं, इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने लिखा, वो बेहद अच्छी इंसान थी, एक बढ़िया भारतीय थीं और समझदारी, सादगी और साहस की मिसाल थीं। इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने लिखा, जस्टिस लीला सेठ की मौत के बारे में सुन कर दुख हुआ। वो महान जज थीं, महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली महिला थीं और एक अच्छी इंसान थीं। ध्रुवो ज्योति ने लिखा, समलैंगिक लोगों के हकों की लड़ाई लड़ने वालों में उनका नाम एक उदाहरण की तरह है।
अनोखा सफर
लीला सेठ 15वें विधि आयोग की सदस्य थीं। इसके अलावा वे साल 2012 में बनाई गई जस्टिस वर्मा समिति की भी सदस्य थीं जिसे दिल्ली के निर्भया बलात्कार कांड के बाद कानून में बदलाव संबंधी सुझाव देने के लिए गठित किया गया था।
लीला 5 अगस्त, 1991 को किसी राज्या के हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनने वाले पहली महिला भी थीं। मशहूर लेखक विक्रम सेठ उनके बेटे हैं। अक्टूबर 1930 में लखनऊ में जन्मी लीला बेहद प्रतिभाशाली थीं। वह 1958 में लंदन बार एग्जाम क्लियर करने वाली पहली महिला बनीं। उसी साल उन्होंने आईएएस भी क्लियर किया। 1978 में, वह दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला जज बनी थीं। 1991 में उन्हें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया, वह इस पद पर काबिज होने वाली पहली महिला बनीं।