दिल्ली में पिछले 12 महीनों में तापमान में वृद्धि के कारण बिजली की मांग में भारी उछाल दर्ज किया गया। शुक्रवार को प्रकाशित एक नये विश्लेषण में कहा गया है कि गर्म और अधिक उमस भरे दिनों में बिजली की मांग औसतन 711 मेगावट (एमडल्ब्यू) तक पहुंच गयी थी।
'इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकॉनोमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस' (आईईईएफए) की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग आमतौर पर औसतन 506 मेगावाट रहती है लेकिन जब तापमान और उमस की स्थिति रहने पर इसमें 188 मेगावाट की वृद्धि हो जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ''सामान्य दिनों में दिल्ली की बिजली मांग में औसतन 188 मेगावाट की वृद्धि होती है लेकिन गर्म और अधिक उमस भरे दिनों में इसकी मांग वार्षिक स्तर पर 3.8 गुना यानी 711 मेगावाट तक बढ़ गयी।''
इसमें कहा गया है कि ठंडे और शुष्क दिनों में भी बिजली की औसतन खपत 506 मेगावाट के आस-पास रही, जो सामान्य दिनों के तापमान के मुकाबले 2.7 गुना तक अधिक थी।
यह दर्शाता है कि दिल्ली की हालिया बिजली खपत में वृद्धि ज्यादातर तापमान में ठंडक और गर्माहट से कहीं न कहीं ज्यादा प्रभावित है जबकि अन्य कारक (आर्थिक वृद्धि से जुड़े कारक) बिजली की खपत में कुछ खास भूमिका नहीं निभाते हैं। विश्लेषण में अधिक गर्म और उमस भरे दिनों की संख्या में वृद्धि को भी दर्शाया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ''2022-23 में 24 गर्म और उमस भरे दिन थे जबकि हाल ही में पूरी हुई 12 महीने की अवधि में इनकी संख्या बढ़कर 40 दिन हो गयी।''
प्रसिद्ध लेखक और आईईईएफए के अतिथि योगदानकर्ता चार्ल्स वॉरिंगम ने कहा, ''इस वर्ष गर्मी में तापमान का स्तर कहीं ज्यादा बढ़ गया है, जो सीधे तौर पर मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है। ऐसे दिनों में शरीर को ठंडा रखना कोई विशिष्टता नहीं बल्कि जीवन रक्षक है और बिजली की मांग को पूरा करना सबसे महत्वपूर्ण है।''
बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारियों के अनुसार, लंबे समय तक चली भीषण गर्मी के कारण 19 जून को राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की अधिकतम मांग 8,647 मेगावाट तक पहुंच गई थी, जो अब तक की सबसे अधिक मांग रही।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, दिल्ली में 13 मई से लगातार 40 दिनों तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा है और इस साल गर्मी के कारण लगभग 60 लोगों की मौत दर्ज की गई।