सीबीआई के दो बड़े अफसरों में जंग के कारण केंद्र सरकार ने डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया। नए अंतरिम डायरेक्टर के कार्यभार संभालने के कुछ घंटों के अंदर सीबीआई की पूरी टीम बदल दी गई थी। ऐसे में सवाल यह है कि सीबीआई जिन अहम मामलों की जांच देख रही थी उनका क्या होगा। फिलहाल इन मामलों का भविष्य अधर में लग रहा है। लगभग सभी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों की जांच का जिम्मा राकेश अस्थाना के नेतृत्व वाली जांच टीम के पास था। इन केसों में सबसे अहम विजय माल्या का केस भी था।
विपक्षी नेताओं पर चल रहे हैं कई मामले
इसके अलावा भ्रष्टाचार के कई ऐसे केस हैं, जिनका अपना राजनीतिक महत्व है। इनमें मोईन कुरैशी, अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वत केस भी है, जिनमें यूपीए काल के कई नेताओं के रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। कोयला घोटाला, आईआरसीटीसी घोटाला,शारदा चिटफंड घोटाला जैसे केस भी हैं। नए डायरेक्टर की तैनाती के बाद अब इन मामलों की जांच में खासा समय लग सकता है। विपक्षी पार्टी के नेताओं से जुड़े भी भ्रष्टाचार के कई केस हैं। विपक्षी नेताओं के करीब दो दर्जन मामलों की सीबीआई जांच कर रही है। इनमें हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल है।
कई पर हैं भ्रष्टाचार के आरोप
राजद प्रमुख लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव पर आईआरसीटी घोटाले में जांच चल रही है तो वहीं दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन पर भी भ्रष्टाचार चल रहा है। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत भी स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं। टीएमसी के कई नेताओं को भी शारदा स्कैम, रोज वैली चिट फंड स्कैम और नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस में जांच के दायरे में लिया गया है जिनमें सुदीप बंधोपाध्याय शामिल हैं। आईएनएक्स मीडिया केस में कार्ति चिदंबरम और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम पर भ्रष्टाचार का आरोप है। आम आदमी पार्टी के कई नेता भी सीबीआई के स्कैनर में हैं।
एसआईटी पर सवाल
यूपी के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले की सीबीआई जांच कर रही है, जिसमें कथित तौर पर आला बसपा नेताओं पर आरोप लगाए गए हैं और इस मामले में मायावती से भी पूछताछ की गई है। डायरेक्टर आलोक वर्मा की तैनाती से पहले जून 2016 में एक एसआईटी की स्थापना की गई थी जिसका मकसद राजनेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना था। इसका नेतृत्व राकेश अस्थाना ने किया था। शुरु में एसआईटी छह मामलों को देख रही थी जिसमें अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला, विजय माल्या केस भी है।