हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावाली का पावन पर्व मनाया जाता है। दीपावाली पर घरों में दीये जलाने और रोशनी करने करने का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा दीपावाली की शाम भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव और रात के पहर में माता लक्ष्मी, जिन्हें धन की देवी कहा जाता है, की पूजा करने का विधान है। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन सुखमय हो जाता है। हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त में पूजा करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आज 12 नवंबर को हिंदू पंचांग के अनुसार, दीपावाली का त्योहार और मां लक्ष्मी की पूजा कार्तिक माह के अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न किया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न नहीं होते, मगर शास्त्रों में उनको प्रसन्न करने के बेहद आसान उपाय भी बताए गए हैं, जिनके माध्यम से आप प्रभु की कृपा के पात्र बन सकते हैं।
शुभ मुहूर्त में पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02:44 बजे से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी 13 नवंबर, सोमवार को दोपहर 02:56 बजे खत्म होगी। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा हमेशा अमावस्या तिथि के प्रदोष काल में मनाई जाती है। इस कारण से 12 नवंबर को प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेशजी की पूजा होगी।
इस वर्ष 12 नवंबर को दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के लिए 2 शुभ मुहूर्त होंगे। पहला शुभ मुहूर्त शाम के समय यानी प्रदोष काल में मिलेगा जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त निशिथ काल में होगा।
प्रदोष काल का मुहूर्त
प्रदोष काल 12 नवंबर 2023- सायंकाल 05:11 से 07:39 बजे तक
वृषभ काल (स्थिर लग्न) -05:22 बजे से 07:19 बजे तक
बता दें कि सबसे लोकप्रिय हिंदू त्योहारों में से एक, दिवाली उस दिन से जुड़ी हुई है जब माना जाता है कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रावण को हराकर अयोध्या लौटे थे, और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रूप में देखा जाता है।