दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी सऊदी अरामको पर ड्रोन हमले के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की सप्लाई पर 5 फीसदी तक की कमी होने वाली है। इस हमले के बाद अब एक बार फिर पर्शियन गल्फ क्षेत्र समेत भारत के लिए चिंता बढ़ गई है। कच्चे तेल के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है और इस ड्रोन हमले के बाद की स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है। हाल ही में भारत के मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अरामको को अपने पेट्रोकेमिकल बिजनेस की 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था।
100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है कच्चे तेल का भाव
इस हमले के बाद सऊदी अरामको को विश्वास है कि वो जल्द ही रिकवर कर लेगा, लेकिन इस बीच दुनिया भर के प्रमुख आयातकों को कच्चे तेल की कमी से जूझना पड़ सकता है। ऑयल प्राइस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले के बाद प्रतिमाह 150 MM बैरल कच्चे तेल की कमी हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि ऐसा होता है तो इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती हैं।
शनिवार सुबह लगी थी आग
निया की सबसे अमीर तेल कंपनियों में शुमार की जाने वाली सऊदी अरब अरामको के दो फैसिलिटी सेंटरों में शनिवार को सुबह आग लग गई। सऊदी अरब के गृह मंत्री ने कहा कि अरामको के फैसिलिटी सेंटर्स पर हुए ड्रोन हमलों के चलते आग लगी थी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'तड़के 4 बजे औद्योगिक सुरक्षा बलों की टीमों ने फायरिंग का जवाब दिया। अबकैक और खुराइस स्थित फैसिलिटी सेंटर्स पर ड्रोन अटैक हुआ था।'
लगातार हो रहे हैं हमले, जांच जारी
दोनों ही मामलों में आग पर काबू पा लिया गया है। वहां के मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल देश के पूर्वी हिस्से में हुए ड्रोन अटैक को लेकर जांच की जा रही है और यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि आखिर इन हमलों के पीछे कौन था। बता दें कि पिछले महीने भी अरामको के नैचरल गैस के फैसिलिटी सेंटर पर भी अटैक हुआ था। हालांकि इसमें किसी भी तरह का जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था। इस अटैक की जिम्मेदारी यमन के हथियारबंद हूथी विद्रोही संगठन ने ली थी।
फिलहाल किसी संगठन ने नहीं ली जिम्मेदारी
पिछले कुछ महीनों में हूथी लड़ाकों ने क्रॉस-बॉर्डर मिसाइलों के जरिए सऊदी अरब के एयर बेस पर हमले भी किए हैं। हालांकि अब तक शनिवार तड़के हुए हमलों की किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। बता दें कि इस साल मई से ही खाड़ी क्षेत्र में तनाव की स्थिति है। यहां तक कि जून में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान पर हवाई हमले तक का ऐलान कर दिया था, लेकिन अंत में अपना फैसला पलट दिया।