अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के बेटे अबीर लवासा और उनके जुड़ी कंपनी की विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के कथित उल्लंघन की जांच कर रहा है। अबीर इस कंपनी के निदेशक हैं। ईडी उनकी कंपनी द्वारा जुटाई गई 7.25 करोड़ रुपये की रकम की जांच कर रहा है। अशोक लवासा ने ही लोकसभा चुनाव के दौरान कई मौकों पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह को चुनाव आयोग द्वारा दी गई क्लीन चिट का विरोध किया था।
अबीर लवासा नौरिश आर्गनिक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी के डायरेक्टर हैं। आरोप है कि अशोक लवासा के बेटे की कंपनी ने फॉरेन एक्सचेंज से जुड़े कानूनों का उल्लंघन किया है। एजेंसी ने फेमा के तहत अबीर लवासा की जांच के लिए मामला दायर किया है। जांच एजेंसी 7.25 करोड़ रुपये का पता लगा रही है जो नौरिश आर्गेनिक को इस साल मार्च में सामा कैपिटल से मिली थी। सामा कैपिटल मॉरीशल की कंपनी है।
फेमा के उल्लंघन का है आरोप
14 नवंबर, 2017 को अबीर इस कंपनी के निदेशक बने थे। उन्हें पिछले सप्ताह मामले में जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था अधिकारियों के अनुसार,अबीर लवासा से कंपनी के इन लेनदेन के बारे में पूछताछ की। उन्होंने जांच में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है। जांच के लिए कुछ और लोगों को बुलाया गया है।
पत्नी भी जांच के दायरे में
अशोक लवासा के परिवार के लिए मुसीबत कुछ महीने पहले शुरू हुई जब उनकी पत्नी, नोवेल सिंघल लवासा, कथित कर चोरी के आरोप में आयकर विभाग की जांच के घेरे में आ गई। अधिकारियों ने कहा कि शुरुआती जांच के बाद आयकर विभाग ने उन्हें व्यक्तिगत वित्त से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा कि क्या उसकी आय अतीत में मूल्यांकन से बच गई है या कर अधिकारियों से कुछ छिपाया गया है। विभाग ने नोवेल सिंघल लवासा के आईटीआर को देखा है, जो कथित कर चोरी की जांच और 2015-17 की समयावधि के लिए उसके खिलाफ कई फर्मों में के संबंध में थी। परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी जांच के दायरे में हैं।
अशोक लवासा को 23 जनवरी, 2018 को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था, जब वे पिछले वर्ष केंद्रीय वित्त सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।