भारतीय निर्वाचन आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को उस मामले में अपनी राय भेजी है, जिसमें कहा गया था कि झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने लाभ के पद पर होते हुए माइनिंग मामले में खुद को फायदा पहुंचाया है और इस कारण उनकी विधानसभा सदस्यता निरस्त की जानी चाहिए। निर्वाचन आयोग ने अपनी राय सीलबंद लिफाफे में राज्यपाल को सौंप दी है। इस मामले में अब निर्णय राज्यपाल को लेना है।
झारखंड सीएम हेमंत सोरेन पर सीएम पद पर रहते हुए खनन पट्टा खुद को और अपने भाई को जारी करने का आरोप लगाया गया है। उस वक्त हेमंत सोरेन के पास खनन मंत्रालय का प्रभार भी था। ईडी ने हाल ही में खनन सचिव पूजा सिंघल को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया था। इस मामले में 18 अगस्त को सुनवाई पूरी हो गई थी।निर्वाचन आयोग ने इस मामले में अपनी राय अब राज्यपाल को भेजी है।
इस मामले में बीजेपी ने पैरवी करते हुए हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है। बीजेपी का कहना है कि लाभ के पद पर होते हुए हेमंत सोरेन ने खुद को फायदा पहुंचाया है। यह 1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 9A का उल्लंघन है। इसलिए राज्यपाल को हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करनी चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने के मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल को करना होता है।