चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को टीवी चैनलों को दिए गए उनके इंटरव्यू को लेकर जारी नोटिस वापस ले लिया है। यह नोटिस 13 दिसंबर को दूसरे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले जारी किया गया था। आयोग द्वारा नोटिस वापस लेने के फैसले के बाद कांग्रेस ने EC पर एक बार फिर से सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर पूछा, अगर चुनाव आयोग ने एक टीवी इंटरव्यू को लेकर राहुल गांधी को दिए नोटिस को वापस ले लिया है तो दो सवाल जरूर पूछे जाने चाहिए। पहला, क्या राहुल गांधी का इंटरव्यू टीवी चैनलों को दिखाने से रोकने के लिए यह महज एक साजिश थी। दूसरा, क्या पीएम मोदी और मंत्रियों के खिलाफ कोई एफआईआर और कार्रवाई न होना न्यायोचित है?
If Election Commission has withdrawn its notice issued to Sh. Rahul Gandhi, two bonafide questions must be asked-:
— Randeep S Surjewala (@rssurjewala) December 17, 2017
1. Was it a mere ploy to prevent TV channels from showing his interview? and
2. Is it a justification for no action or registration of an FIR against PM & Ministers?
13 दिसम्बर को जारी किया गया था नोटिस
राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने बीते हफ्ते 13 दिसम्बर को नोटिस जारी किया था, जिसमें गुजरात में दूसरे चरण की वोटिंग से पहले टीवी चैनलों को दिए गए इंटरव्यू को लेकर आपत्ति जताई गई थी, लेकिन आयोग ने रविवार देर रात कांग्रेस को भेजे पत्र में कहा है कि राहुल गांधी को दिया गया नोटिस वापस लिया जा रहा है।
आयोग ने बनाई नई कमेटी
आयोग का कहना है कि राहुल गांधी को दिए नोटिस के बाद कांग्रेस ने आयोग के सामने पक्ष रखा। आयोग ने जन प्रतिनिधि कानून 1951 के सेक्शन 126 की समीक्षा के लिए एक कमेटी बना दी है। कानून के इस सेक्शन के तहत चुनाव से 48 घंटे पहले किसी तरह के प्रचार की इजाजत नहीं होती।
चुनाव आयोग द्वारा 13 दिसम्बर को जारी किए गए नोटिस में राहुल गांधी से पूछा था कि आचार संहिता उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। इस पर उनसे 18 दिसंबर को शाम पांच बजे से पहले जवाब मांगा गया था।
कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप
राहुल गांधी को नोटिस जारी होने के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच काफी आरोप-प्रत्यारोप लगे थे। कांग्रेस ने भाजपा पर पत्रकारों को धमकाने का आरोप भी लगाया था। साथ ही, चुनाव आयोग पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप भी मढ़ा था। आयोग का यह फैसला गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों से ठीक एक दिन पहले आया है।