भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर गतिरोध और रूस से कच्चे तेल की भारत की लगातार खरीद को लेकर जारी तनातनी के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत की नीतियां हमेशा राष्ट्रीय हित में ही होंगी।
इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडरशिप फोरम में बोलते हुए जयशंकर ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, यह न केवल उसके राष्ट्रीय हित में है बल्कि वैश्विक हित में भी है।
उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार समझौते की बातचीत में आ रही दिक्कतों को स्वीकार करते हुए कहा कि भारत की अपनी “रेड लाइन्स” हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 7 अगस्त से भारत से निर्यातित वस्तुओं पर 25% शुल्क लगाया है। वहीं, रूस से भारत के कच्चे तेल व्यापार पर भी 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% शुल्क लागू होने की संभावना है।
जयशंकर ने भारत-रूस ऊर्जा संबंधों का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि तेल खरीद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर हित में है। उन्होंने कहा, “इसे तेल का मुद्दा बताया जाता है लेकिन यह सबसे बड़े आयातक चीन पर लागू नहीं होता। भारत को लेकर जो तर्क दिए जाते हैं, वे चीन पर लागू नहीं होते।”
उन्होंने साफ कहा कि भारत स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम है और अंततः फैसले राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर ही होंगे। ऊर्जा सुरक्षा पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “अगर आपको पसंद नहीं है, तो मत खरीदिए। लेकिन यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है। अगर आपको पसंद नहीं है तो हमसे मत खरीदिए।”
उन्होंने याद दिलाया कि 2022 में जब तेल की कीमतों में भारी उछाल को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता थी, तब कहा गया था कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना चाहता है तो खरीदे, क्योंकि इससे कीमतें स्थिर होंगी।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत की तेल खरीद घरेलू और वैश्विक बाजार दोनों को स्थिर करने में मदद करती है। “हम तेल इसलिए खरीद रहे हैं ताकि तेल की कीमतें स्थिर रहें। यह हमारे राष्ट्रीय हित में है, लेकिन यह वैश्विक हित में भी है,” उन्होंने कहा।
रूस की हालिया यात्रा पर उन्होंने कहा कि यह वार्षिक द्विपक्षीय चर्चाओं का हिस्सा थी। “हम रूस के साथ व्यापार बढ़ाना चाहते हैं,” उन्होंने कहा और साथ ही यूक्रेन मुद्दे पर भारत की साफ स्थिति दोहराते हुए कहा कि भारत चाहता है कि यह संघर्ष जल्द खत्म हो।