शीर्ष उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी का कहना है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम नियमित शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होता। हालांकि कोचिंग सेंटर इसके दायरे में आएंगे। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पाया कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों सहित शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान, उपभोक्ता फोरम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आ सकते, भले ही उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं में कोई खराबी हो।
शैक्षणिक संस्थान अधिकार क्षेत्र से बाहर
आयोग ने विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों के कुछ छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया। एनसीडीआरसी बेंच के अध्यक्ष आर के अग्रवाल और सदस्य द्वय वीके जैन और एम श्रीशा ने कहा, “शैक्षणिक संस्थानों की परिभाषा के दायरे में आने वाले संस्थानों पर कार्यवाही करने के लिए उपभोक्ता मंच के पास कोई अधिकार नहीं होता। भले ही निजी निकायों द्वारा चलाए जा रहे इन पाठ्यक्रमों में कमी हो।” आयोग ने यह भी पाया कि इन शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मुहैया कराए जा रहे, टूर, पिकनिक, अतिरिक्त पाठ्येतर गतिविधिताय, स्विमिंग, खेल भी कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के अंतर्गत नहीं आते हैं।
निजी कोचिंग सेंटर आते हैं दायरे में
ट्रिब्यूनल ने यह स्पष्ट किया कि कोचिंग सेंटरों की सेवाओं में कोई भी कमी उसके अधिकार क्षेत्र में आएगी क्योंकि वे नियमित स्कूल या कॉलेजों के बराबर नहीं हो सकते। ट्रिब्यूनल ने कहा, “चूंकि कोचिंग सेंटर रेग्युलेटरी अथॉरिटी द्वारा रेगुलेट नहीं किए जाते इसलिए वे रेगुलर स्कूल या कॉलेज के बराबर नहीं हो सकते। इसलिए हमारा मानना है कि कोचिंग सेंटर में यदि कोई भी दोष है या सेवा में कमी है या इसे अनुचित व्यापार की तरह चलाया जा रहा है तो सेंटर उपभोक्ता अधिकार क्षेत्र में आते हैं।”