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कोर्ट ने गिरफ्तार कार्यकर्ता वरवरा राव की मेडिकल रिपोर्ट तलब की, चक्कर आने पर कराया था अस्पताल में भर्ती

मुंबई की एक विशेष अदालत ने शनिवार को राज्य सरकार द्वारा संचालित जेजे अस्पताल को एल्गार परिषद मामले...
कोर्ट ने गिरफ्तार कार्यकर्ता वरवरा राव की मेडिकल रिपोर्ट तलब की, चक्कर आने पर कराया था अस्पताल में भर्ती

मुंबई की एक विशेष अदालत ने शनिवार को राज्य सरकार द्वारा संचालित जेजे अस्पताल को एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता वरवारा राव की मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। चक्कर आने की शिकायत पर 81 वर्षीय राव को तलोजा जेल से गुरूवार देर शाम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत मांगने की राव की याचिका अदालत के समक्ष लंबित है और इस पर 2 जून को सुनवाई होनी है। राव के वकील ने शनिवार को अदालत से आग्रह किया कि उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जेजे अस्पताल को राव की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जाए। वकील ने कहा कि आरोपी को अस्पताल में भर्ती कराना मामले की गंभीरता को दिखाता है। इसलिए, आरोपी की मेडीकल रिपोर्ट और मौजूदा परिस्थिति को देखना जरूरी है। याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने अस्पताल से राव की मेडिकल स्थिति पर रिपोर्ट तलब की है।

एनआईए को सींप दी थी जांच

राव और 10 अन्य नागरिक स्वत्रंतता कार्यकर्ताओं के खिलाफ माओवादियों से संबंध तथा सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सख्त प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ सबसे पहले पुणे पुलिस ने कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में मामला दर्ज किया था। पुलिस के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद में इन कार्यकर्ताओं ने भड़काऊ बयान दिया था, जिसकी वजह से अगले दिन हिंसा हुई। पुलिस ने कहा कि आरोपी प्रतिबंधित माओवादी समूह के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। इसके बाद, मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी गई थी।

200वीं वर्षगांव पर हुई थी हिंसा

भीमा कोरेगांव युद्ध की 200 वीं वर्षगांठ के दौरान नये साल के दिन पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों के बीच संघर्ष हो गया था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 31  दिसंबर, 17  को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद के दूसरे दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई थी। हिंसा के लिए एलगार परिषद के आयोजन पर भी आरोप लगाया गया था।

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