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ट्रेड यूनियनों की सोमवार से शुरू हो रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल; जरूरी सेवाएं हो सकती है प्रभावित, जाने क्या हैं मांगे

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा सोमवार से शुरू हो रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल...
ट्रेड यूनियनों की सोमवार से शुरू हो रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल; जरूरी सेवाएं हो सकती है प्रभावित, जाने क्या हैं मांगे

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा सोमवार से शुरू हो रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान बैंकिंग, परिवहन, रेलवे और बिजली से जुड़ी कुछ जरूरी सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है। सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियों और श्रमिक-मजदूर विरोधी पॉलिसी के चलते यूनियों ने यह हड़ताल बुलाई है।

बैंक यूनियनों की हड़ताल के चलते सोमवार और मंगलवार को बैंक में कामकाज ठप हो सकता है हालांकि सरकारी बैंकों का कहना है कि हड़ताल से आंशिक असर दिखेगा और कामकाज भी चलता रहेगा। कामकाज पर असर इस बात पर निर्भर करेगा कि कितने यूनियन हड़ताल के समर्थन में जा रहे हैं और कितने इस फैसले से वापस हो लेते हैं चूंकि सभी यूनियन हड़ताल के समर्थन में नहीं हैं। माना जा रहा है कि आंशिक तौर पर ही काम प्रभावित होगा।

ऑल इंडियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, "हम सरकार की नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च की हड़ताल के दौरान देश भर के श्रमिकों की सामूहिक लामबंदी के साथ 20 करोड़ से अधिक औपचारिक और अनौपचारिक श्रमिकों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि हड़ताल से ग्रामीण इलाकों में भी असर पड़ने की उम्मीद है, जहां अन्य क्षेत्रों और कृषि के अनौपचारिक कर्मचारी विरोध में शामिल होंगे।

हड़ताल के नोटिस कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक, आयकर, तांबा, बैंक और बीमा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिक संघों द्वारा दिए गए थे। संयुक्त मंच ने कहा कि रेलवे और रक्षा क्षेत्र की यूनियनें कई जगहों पर हड़ताल के समर्थन में सामूहिक लामबंदी करेंगी।

यूनियनों की मांगों में श्रम कानूनों में प्रस्तावित परिवर्तनों को रद्द करना, किसी भी रूप का निजीकरण और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन शामिल है। मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत मजदूरी का बढ़ा हुआ आवंटन और ठेका श्रमिकों का नियमितीकरण भी उनकी मांगों का हिस्सा है। ट्रेड यूनियन सरकार से लेबर कोड रद्द करने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार एक नया लेबर कोड लेकर आई है जिसमें 3 दिन की छुट्टी और 4 दिन के काम का प्रावधान है। इसके अलावा मजदूरी और मेहनताना के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं। इसमें न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान है जिसमें सरकार पूरे देश में कम से कम मजदूरी तय करेगी।

संयुक्त मंच ने एक बयान में कहा कि एस्मा (एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट) के आसन्न खतरे के बावजूद रोडवेज, परिवहन और बिजली विभागों के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। आईएटीयूसी, एआईटीयूसी, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू और यूटीयूसी सहित ट्रेड यूनियन संयुक्त मंच का हिस्सा हैं।

इस बीच, बिजली मंत्रालय ने रविवार को सभी सरकारी कंपनियों और अन्य एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने और चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति और राष्ट्रीय ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने की सलाह दी। बिजली मंत्रालय द्वारा जारी एक एडवाइजरी में कहा गया है, "सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) ने 28 मार्च को सुबह छह बजे से 30 मार्च, 2022 को शाम छह बजे तक देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।" सभी राज्यों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण, राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र और क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्रों को एडवाइजरी जारी की गई है।

बिजली के उपभोक्ताओं के हित में, यह सलाह दी जाती है कि सभी बिजली उपयोगिताओं को बिजली ग्रिड के चौबीसों घंटे कामकाज और सभी संयंत्रों, ट्रांसमिशन लाइनों और सबस्टेशनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करना चाहिए, मंत्रालय ने कहा, सभी क्षेत्रीय/राज्य नियंत्रण कक्ष के अधिकारी सतर्क रहें और हाई अलर्ट पर रहें। मंत्रालय ने सुरक्षित और विश्वसनीय ग्रिड संचालन सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने का भी सुझाव दिया।

28-29 मार्च के दौरान नियोजित शटडाउन गतिविधियों को भविष्य की उपयुक्त तारीखों के लिए पुनर्निर्धारित किया जा सकता है, यह कहा और सभी संबंधित अधिकारियों को अपने क्षेत्रीय नेटवर्क / नियंत्रण क्षेत्र की कड़ी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कहा। इसके अलावा, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी महत्वपूर्ण सब-स्टेशनों / पावर स्टेशन 24X7 पर जनशक्ति को तैनात किया जा सकता है।

अस्पतालों, रक्षा और रेलवे जैसी आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए, इसने सूचना प्रसार और किसी भी प्रकार की आकस्मिकता से निपटने के लिए 24×7 नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का सुझाव दिया।

बैंक कर्मचारी संघों ने कहा कि वे हड़ताल का समर्थन करेंगे। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि संघ सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को रोकने और उन्हें मजबूत करने की मांग करता है। बैंक कर्मचारी भी फंसे हुए ऋणों की शीघ्र वसूली, बैंकों द्वारा उच्च जमा दरों, ग्राहकों पर कम सेवा शुल्क के साथ-साथ कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली की भी मांग करते हैं।

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई समेत कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कहा है कि हड़ताल के कारण उनकी सेवाएं सीमित सीमा तक प्रभावित हो सकती हैं। एसबीआई ने कहा कि उसने हड़ताल के दौरान अपनी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था की है। एसबीआई ने कहा, 'इस बात की संभावना है कि हड़ताल से हमारे बैंक का काम कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है।

नई दिल्ली मुख्यालय वाले पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने कहा, एआईबीईए, बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) ने 28-29 मार्च को हड़ताल पर जाने का नोटिस दिया है। पीएनबी ने कहा, "बैंक ने अपनी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन संभावना है कि हड़ताल से हमारे बैंक में काम सीमित हद तक प्रभावित हो सकता है।"

बेंगलुरु स्थित केनरा बैंक ने कहा कि वह बैंक शाखाओं और कार्यालयों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है। हालांकि, बैंक का कामकाज प्रभावित हो सकता है।  निजी ऋणदाता आरबीएल बैंक ने कहा कि उसके बैंक यूनियन एआईबीओए और एआईबीईए से संबद्ध हैं और इन यूनियनों से जुड़े कर्मचारी हड़ताल में भाग ले सकते हैं। आरबीएल ने कहा, "हड़ताल के दिनों में बैंक की शाखाओं / कार्यालयों के सुचारू कामकाज के लिए बैंक सभी आवश्यक कदम उठाएगा। हालांकि, यह संभावना है कि हमारी कुछ शाखाएं भी हड़ताल से प्रभावित होंगी।"

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