दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को सीबीआई के आबकारी नीति घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि वह ''प्रथम दृष्टया वास्तुकार'' हैं और उन्होंने ''सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।'' 24 मार्च को अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सिसोदिया निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने सिसोदिया की याचिका खारिज कर दी। एजेंसी ने 26 फरवरी को सिसोदिया को अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया सीबीआई के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की जांच का भी सामना कर रहे हैं। सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 5 अप्रैल को खत्म हो रही है।
सिसोदिया ने गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह दिल्ली में आतिशी को शिक्षा मंत्री बनाया गया है। आप नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया दिल्ली की विशेष अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद अपनी जमानत याचिका के मामले में दिल्ली की अदालत में अपील करेंगे।
सिसोदिया ने ट्रायल कोर्ट में अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्हें हिरासत में रखने से सीबीआई का मकसद पूरा नहीं होगा। मामलें में सभी रिकवरी पहले ही की जा चुकी हैं। वहीं, सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने पिछले सप्ताह मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि अगर उन्हें जमानत दी जाती है, तो वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं।