दिल्ली की एक अदालत ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने यह कहते हुए सिसोदिया को राहत देने से इंकार कर दिया कि हालात उन्हें जमानत देने के लायक नहीं है।
इसके पहले न्यायाधीश ने सिसोदिया की याचिका पर दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसमें दावा किया गया था कि जांच के लिए उनकी हिरासत की अब आवश्यकता नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आवेदन का विरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि जांच “महत्वपूर्ण” चरण में है और आप के वरिष्ठ नेता सिसोदिया ने यह दिखाने के लिए मनगढ़ंत ई-मेल लगाए थे कि नीति के लिए उनके पास सार्वजनिक स्वीकृति थी।
संघीय एजेंसी ईडी ने यह भी कहा कि उसे कथित अपराध में सिसोदिया की मिलीभगत के नए सबूत मिले हैं। अदालत ने 31 मार्च को भ्रष्टाचार के एक मामले में सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, जिसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है, यह कहते हुए कि वह लगभग 90-100 करोड़ रुपये की एडवांस रिश्वत के कथित भुगतान के पीछे आपराधिक साजिश में “प्रथम दृष्टया आर्किटेक्ट” थे। यह रिश्वत दिल्ली सरकार में उनके और उनके सहयोगियों को दी गई थी।
अदालत ने कहा कि फिलहाल सिसोदिया की जमानत “जांच पर गलत असर डालेगी”। सीबीआई और ईडी ने सिसोदिया को अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और इससे बनाए पैसे को वैध बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।