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हम खराब प्रचार के शिकार, वकील तुरंत काम पर लौटें: बार काउंसिल

साकेत कोर्ट के बाहर एक वकील द्वारा एक पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारने का एक और वीडियो के सामने आने के बाद...
हम खराब प्रचार के शिकार, वकील तुरंत काम पर लौटें: बार काउंसिल

साकेत कोर्ट के बाहर एक वकील द्वारा एक पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारने का एक और वीडियो के सामने आने के बाद वकीलों पर दबाव बढ़ गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने अधिवक्ताओं से मंगलवार से काम फिर से शुरू करने की अपील की है। वकीलों को लिखे पत्र में, काउंसिल ने कहा, “समन्वय समिति (जो पुलिस अधिकारियों या कर्मियों को पहले गिरफ्तार किया जाना चाहिए) का संकल्प अब निरर्थक है और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। हमें कानूनी दृष्टिकोण से इस महत्वपूर्ण पहलू पर विचार करना है, ताकि हम समाज के सामने हंसी का पात्र न बनें।”  

मामूली विवाद ने पकड़ा तूल

 दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा शनिवार को तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश के बाद शहर में अदालतें बंद होने से वकीलों को काम बंद रखना पड़ा है। इससे हजारों लोग परेशान हो रहे हैं। तीस हजारी अदालत परिसर में पार्किंग को लेकर एक वकील और कुछ पुलिसकर्मियों के बीच मामूली बहस भड़क गई, जिससे हिंसा और आगजनी हुई, जिसमें एक वकील को गोली लगी। 20 पुलिसकर्मियों सहित एक एडिशनल डीसीपी और दो एसएचओ को भी चोट लगी हैं। आठ वकील भी चोटिल हुए हैं। पुलिस ने दावा किया कि इस झड़प में 12 मोटरसाइकिलें, एक पुलिस क्यूआरटी जिप्सी और आठ जेल गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुई हैं।

पुलसिकर्मियों ने किया पीएचक्यू का घेराव

लेकिन मंगलवार को सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली पुलिस मुख्यालय में घेराव किया। इनमें वे पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो हिंसा में लिप्त पाए गए थे। उनके इस दोहरे बर्ताव से अचानक जनता का मूड कानूनी बिरादरी के खिलाफ हो गया है। बार काउंसिल का कहना है कि “बार में गुंडागर्दी और हिंसा की कोई जगह नहीं है। नेताओं को इसे तुरंत रोकना होगा।” बार ने वकीलों से अपील की है कि वे जल्दी से जल्दी काम पर वापस लौट आएं।

काउंसिल को आशंका, वकीलों की छवि खराब करने की साजिश

काउंसिल का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज और वीडियो वकीलों की छवि को ‘खराब’ करने और ‘कुछ वकीलों को फंसाने’ के मकसद से बड़े पैमाने पर प्रसारित किए जा रहे थे। बार ने आशंका व्यक्त की है कि इस तरह की सामग्री को जांच समिति, सीबीआई, विजिलेंस, आईबी और हाइ कोर्ट के सामने’ वकीलों के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

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