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उत्तर प्रदेश चुनाव में किसान आंदोलन का होगा असर, बीजेपी को भुगताना पड़ेगा खामियाजा: टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश के चुनाव में...
उत्तर प्रदेश चुनाव में किसान आंदोलन का होगा असर, बीजेपी को भुगताना पड़ेगा खामियाजा: टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश के चुनाव में भारी असर पडेगा।  त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नतीजों ने भाजपा सरकार को अपनी रणनीति और नेता बदलने के लिए सोचना पड रहा है। अगर अब भी नहीं बदले तो इन्हें भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

कृषि कानून के विरोध में पिछले एक हफ्ते से मुरादाबाद-लखनऊ नेशनल हाईवे स्थित टोल प्लाजा पर धरना स्थल पर मौजूद किसानों के समर्थन में पहुंचे भाकियू नेता राकेश टिकैत की मौजूदगी में लगभग दो घंटों तक टोल फ्री कर दिया। टोल प्लाजा फ्री किए जाने की सूचना पर  प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी धरनास्थल पर पहुंच गए थे।राकेश टिकैत ने कहा कि  मुरादाबाद के किसानों को दिए जाने वाले नोटिस गलत  हैं,दुर्भावनापूर्ण है,जिसके विरोधस्वरूप आज वह किसानों के समर्थन में धरने में शामिल हुए हैं।

टिकैत रामपुर रजबपुर में भी किसानों से रुबरु  हुए। उन्होंने कहा कि जहां तक टोल प्लाजा फ्री करने की बात है तो वह प्रशासन  ने किया है। तीन कृषि कानून वापस लेने की मांग के संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना  नार्थ कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन से करते हुए कहा कि किम जोंग उन भी  बादशाह हैं, तो मोदीजी भी भारत के बादशाह की भूमिका में हैं।क्योंकि बोलने  की आजादी और अधिकार ना होने की वजह से कलम पर अघोषित पहरा है।किसी को भी  बोलने ही नहीं देते हैं बादशाह।

दो घंटे तक धरने में शामिल रहे भाकियू नेता  राकेश टिकैत प्रदर्शनकारियों को धरना स्थल पर मजबूती देने के बाद अपने  गंतव्य स्थान की ओर रवाना हो गए।लेकिन जाते समय प्रशासनिक अधिकारियों को  आगाह कर गए कि अगर किसानों  के धरनास्थल की बिजली काटी गई तो फिर समूचे  राज्य के तमाम टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को भाजपा नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी  कंपनियां चला रहीं हैं। इसीलिए भाजपा नेता किसानों से बात नहीं कर पा रहे  हैं। उन्हें बोलने का अधिकार नहीं है।भाजपा नेता तो एक तरह से हाउस अरेस्ट  हैं। किसान नेता ने आगे कहा कि किसान आंदोलन अभी लंबा  चलेगा। बारिश आने वाली है, इसलिए आंदोलन कर रहे किसान झोपड़े की जगह पक्के  मकान बनाएंगे।

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