विभिन्न मांगों को लेकर ‘दिल्ली-चलो’ मार्च पर निकले किसानों को रोकने की केंद्र सरकार की कोशिश विफल हो गई है। ‘दिल्ली चलो’ मार्च रोकने के लिए सोमवार रात किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों के साथ पांच घंटे से अधिक समय तक चली बैठक बेनतीजा रही। इसी बीच फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली में किसानों के विरोध मार्च के मद्देनजर आईटीओ चौराहे पर दिल्ली पुलिस के जवान और बैरिकेड तैनात किए गए, सीआरपीसी की धारा 144 लागू की गई है।
गुरुग्राम से दिल्ली की ओर जाने वाले राजमार्ग पर यातायात जाम हो गया, किसानों को दिल्ली की ओर मार्च करने से रोकने के उपायों के तहत पुलिस ने सड़क पर कंक्रीट के स्लैब रख दिए। टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। शंभू, पंजाब-हरियाणा सीमा पर दो कैरिजवे पर भारी पुलिस उपस्थिति और बैरिकेडिंग की गई है क्योंकि पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के किसानों ने अपना 'दिल्ली चलो' विरोध मार्च शुरू कर दिया है।
किसानों के मार्च पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है, "परामर्श की जरूरत होगी। हमें राज्यों के साथ इस पर चर्चा करने की जरूरत है। हमें चर्चा के लिए एक मंच तैयार करने और समाधान खोजने की जरूरत है। भारत सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए बाध्य है। जनता को असुविधा नहीं होनी चाहिए। किसान संघ को यह समझने की जरूरत है।"
#WATCH | Delhi: On farmers' march, Union Minister Arjun Munda says, "There will be a need for consultation. We need to discuss this with the states... We need to prepare a forum for discussions and find a solution. The Govt of India is bound to protect the interests of the… pic.twitter.com/ywQg3svpVI
— ANI (@ANI) February 13, 2024
उन्होंने कहा, "हमें किसानों के हितों की परवाह है। अगर कोई इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है तो यह हमारी चिंता नहीं है। हम हमेशा बातचीत और चर्चा के लिए तैयार रहे हैं और हम सब कुछ करने के लिए तैयार हैं। इस मुद्दे का समाधान ढूंढना संभव है। यह मुद्दा राज्य सरकारों से भी जुड़ा है। हमें इस मुद्दे को समझने और इसे हल करने का तरीका खोजने के लिए समय चाहिए।"
इससे पहले किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है। हमें नहीं लगता कि वे हमारी मांगों को पूरा करना चाहते हैं… हम कल सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।”
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में शामिल हुए केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि शेष मुद्दों को एक समिति के गठन के माध्यम से सुलझाया जाए।
उन्होंने कहा, “सरकार हमेशा चाहती है कि हम हर मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझा सकें… हम अब भी आशान्वित हैं और बातचीत का स्वागत करते हैं।”
बैठक देर रात तक चली। सूत्रों ने बताया कि ऐसा समझा जाता है कि बैठक में केंद्र सरकार ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने पर सहमति जताई है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि किसान नेता फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून को बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने सेक्टर 26 में महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में किसान नेताओं के साथ दूसरे दौर की बैठक की। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर समेत अन्य लोग शाम करीब साढ़े छह बजे शुरू हुई बैठक में शामिल थे।
बैठक के बाद पंढेर ने कहा, “हमने उनके साथ लंबी चर्चा की। हर मुद्दे पर बात हुई… हमारी कोशिश किसी भी टकराव से बचने की थी। हम चाहते थे कि उनके साथ बातचीत के जरिए इस मुद्दे को हल किया जाए। अगर सरकार ने हमें कोई पेशकश की होती तो हम अपने आंदोलन पर पुनर्विचार कर सकते थे।” उन्होंने दावा किया कि सरकार की मंशा साफ नहीं है।
पंढेर ने कहा, “वे हमें कुछ भी नहीं देना चाहते … हमने उनसे निर्णय लेने के लिए कहा। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की किसानों की मांग पर कोई निर्णय नहीं लिया। हम आज सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।”
समझा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रियों ने पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर भी सहमति जताई है। बैठक में भाग लेने वाले एक किसान नेता ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी मुख्य मांगों में एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी शामिल है। बैठक में शामिल हुए पंजाब के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ खड़ी है।
केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच आठ फरवरी को पहली बैठक में विस्तृत चर्चा हुई थी। इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने किसानों के मार्च के कारण व्यापक पैमाने पर तनाव और ‘‘सामाजिक अशांति’’ पैदा होने की आशंका के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में एक महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
वाहनों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर कंक्रीट के अवरोधक और सड़क पर बिछाए जाने वाले लोहे के नुकीले अवरोधक लगाकर किलेबंदी कर दी गयी है। इन उपायों से सोमवार को सुबह दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में यातायात की आवाजाही पर असर पड़ा जिससे यात्रियों को असुविधा हुई।
हरियाणा के प्राधिकारियों ने 13 फरवरी को किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोकने के लिए अंबाला, जींद, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में कई स्थानों पर पंजाब के साथ लगती राज्य की सीमा पर कंक्रीट के अवरोधक और लोहे की कील और कंटीले तार लगाकर किलेबंदी कर दी है।
हरियाणा सरकार ने भी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत 15 जिलों में प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन जिलों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई है और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन करने या ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मार्च निकालने पर प्रतिबंध है।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने सोमवार को कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉली का एक काफिला सुबह अमृतसर के ब्यास से निकला, जो फतेहगढ़ साहिब जिले में एकत्र हुआ। मोगा, बठिंडा और जालंधर जिलों के कई किसान भी मार्च में शामिल होने के लिए अपने गांवों से निकल पड़े हैं।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉली सोमवार शाम को फतेहगढ़ साहिब जिले और संगरूर के मेहलन चौक पर एकत्र हुई। किसानों ने अंबाला-शंभू बॉर्डर, खनौरी-जींद और डबवाली बॉर्डर से दिल्ली जाने की योजना बनाई है। डल्लेवाल ने पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर भारी सुरक्षा व्यवस्था करने और ‘दिल्ली चलो’ मार्च में शामिल होने के इच्छुक किसानों को कथित तौर पर ‘परेशान’ करने के लिए हरियाणा सरकार की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत कर रही है और इसके बावजूद पंजाब-हरियाणा सीमा पर भारी अवरोधक लगाए गए हैं। प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर हरियाणा पुलिस को अलर्ट पर रखते हुए राज्य प्राधिकारियों ने सड़कों पर कंक्रीट के अवरोधक एवं कंटीले तार लगाए गए हैं और दंगा-रोधी वाहन तैनात किए हैं।
पुलिस ने जींद, फतेहाबाद, कुरूक्षेत्र और सिरसा जिलों में पंजाब के साथ लगती हरियाणा की सीमा पर भी व्यापक इंतजाम किए हैं। अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में इंटरनेट सेवाएं और बड़ी संख्या में एसएमएस करने की सुविधा 13 फरवरी यानी आज तक निलंबित कर दी गई है।
डल्लेवाल ने कहा कि ‘दिल्ली चलो’ मार्च का समर्थन करने के लिए कर्नाटक और मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों से आ रहे कई किसानों को हिरासत में ले लिया गया है जिन्हें रिहा किया जाना चाहिए। डल्लेवाल ने दावा किया कि एसकेएम के प्रति समर्थन जताते हुए मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक से आ रहे कई किसानों को भोपाल में हिरासत में ले लिया गया है।
एसकेएम नेता डल्लेवाल ने कहा, ‘‘एक तरफ, वे (केंद्र) हमारे साथ बातचीत कर रहे हैं और दूसरी तरफ, वे हमारे लोगों को हिरासत में ले रहे हैं। फिर यह वार्ता कैसे होगी?’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने सरकार से कहा है कि वह हमारे लोगों को रिहा करे। सरकार को वार्ता के लिए सकारात्मक माहौल बनाने की जरूरत है।’’
दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा की ओर से जारी आदेश में किसी भी प्रकार की रैली या जुलूस निकालने तथा सड़कों एवं मार्गों को अवरुद्ध करने पर रोक लगा दी है। दिल्ली पुलिस के आदेश के तहत ट्रैक्टर रैलियों के राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं को पार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए हरियाणा की सीमा से लगती ग्रामीण सड़कों को भी सील कर दिया है। दिल्ली-रोहतक और दिल्ली-बहादुरगढ़ मार्गों पर अर्द्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई है। दिल्ली में जारी एक परामर्श के अनुसार, सोमवार से सिंघू सीमा पर वाणिज्यिक वाहनों के लिए यातायात पाबंदियां लागू की गयी हैं। मंगलवार से सभी प्रकार के वाहनों पर पाबंदियां लागू होंगी।
विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने 5,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है जबकि सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए क्रेन और अन्य भारी वाहनों को तैनात किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए कई सुरक्षा अवरोधक लगाए गए हैं। सड़कों पर कंटीले अवरोधक बिछाए गए हैं ताकि अगर प्रदर्शनकारी वाहनों पर सवार होकर शहर में प्रवेश करने की कोशिश करें तो उनके वाहनों के टायर पंक्चर हो जाएं।
वहीं, किसान संगठनों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर सीमाएं सील करने और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाने के हरियाणा सरकार के फैसले के खिलाफ सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गई है।याचिकाकर्ता उदय प्रताप सिंह ने अदालत से किसानों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ हरियाणा और पंजाब की सरकारों और केंद्र की सभी कार्रवाइयों पर रोक लगाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन कदमों से मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है और ये “असंवैधानिक” हैं। इस मामले पर मंगलवार को यानी आज सुनवाई होने की उम्मीद है।